नयी दिल्ली, 27 सितंबर, केंद्र के महत्वपूर्ण कार्यक्रम आधार की संवैधानिक वैधता को लेकर कानूनी लड़ाई में उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश, सामाजिक कार्यकर्ता, नेता और कुछ राज्य सरकारों ने उच्चतम न्यायालय का रूख किया था। कानून की वैधता को चुनौती देने वालों में पहले और अग्रणी याचिकाकर्ता न्यायमूर्ति के एस पुत्तास्वामी (92) थे। उन्होंने अपनी दलीलों के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान की सेवाएं लीं। कुल 31 याचिकाकर्ताओं में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश, माकपा के वरिष्ठ नेता वी एस अच्युतानंदन और भाकपा नेता बिनय विश्वम भी थे जिन्होंने आधार के विभिन्न पहलुओं को चुनौती दी। न्यायमूर्ति पुत्तास्वामी ने अक्तूबर 2012 में उच्चतम न्यायलय का रूख किया था। उस वक्त संप्रग-दो सत्ता में थी सामाजिक कार्यकर्ता अरूणा राय ने आधार के लिए बायोमेट्रिक संग्रह को चुनौती दी थी। सैन्य कर्मी रह चुके एक्टिविस्ट मेजर जनरल सुधीर जी वोम्बटकेरे ने उच्चतम न्यायालय का रूख कर कहा था कि आधार के जरिए सरकार को लोगों की निगरानी की अनूठी ताकत मिल गयी है। मैगसायसाय पुरस्कार विजेता और बाल अधिकार कार्यकर्ता शांता सिन्हा भी याचिकाकर्ताओं में शामिल थीं। कार्यकर्ता और सफाई कर्मचारी आंदोलन के संस्थापकों में एक और राष्ट्रीय संयोजक बेजवडा विल्सन भी मामले में याचिकाकर्ता थे। पश्चिम बंगाल सरकार ने भी आधार कार्यक्रम को चुनौती दी थी।
गुरुवार, 27 सितंबर 2018
आधार को चुनौती देने वालों में सेवानिवृत्त न्यायाधीश, कार्यकर्ता, नेता, पूर्व सैनिक भी थे
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