मधुबनी : इप्टा की मधुबनी नगर इकाई की 29वीं वर्षगांठ सह नाटक का मंचन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 30 सितंबर 2018

मधुबनी : इप्टा की मधुबनी नगर इकाई की 29वीं वर्षगांठ सह नाटक का मंचन

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मधुबनी (आर्यावर्त डेस्क) , 30सितंबर: मधुबनी के राम कृष्ण महाविद्यालय के प्रांगण में रविवार 30 सितंबर 2018 को इप्टा की मधुबनी नगर इकाई की 29वीं वर्षगांठ सह नाटक का मंचन किया गया। इस अवसर पर मधुबनी के नगर विधायक श्री समीर कुमार महासेठ, प्रोफेसर मुनेश्वर यादव, प्रोफेसर प्रकाश नायक, प्रोफेसर कुंवर जी राउत, प्रोफेसर चंद् मोहन झा, प्रोफेसर अशोक कुमार,  सुरेश बैरोलिया, अमित कुमार महासेठ, अजय धारी सिंह, अनिल कुमार, ऋषि वशिष्ट, सुनील नायक एवं अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।  इस अवसर पर मधुबनी के नगर विधायक श्री समीर कुमार महासेठ ने इप्टा के द्वारा मधुबनी में सांस्कृतिक गतिविधियां को सराहा एवं कहा कि आज की सामाजिक परिवेश में इप्टा जैसी संस्था की ज्यादा आवश्यकता है। 

विश्व की सबसे बड़ी सांस्कृतिक संस्था इप्टा(इंडियन पीपुल थिएटर एसोसिएशन) की मधुबनी नगर इकाई के अध्यक्ष अरविंद प्रसाद ने कहा कि अगले एक साल तक जनसंवाद, गीत और नुक्कड़ नाटक का लगातार प्रदर्शन किया जाएगा। गरीबी, समाजवाद, और प्रगति की सोच को लेके इप्टा चला है और आगे भी चलता रहेगा। आज़ादी से पहले से ही इप्टा ने आज़ादी में लागों को एकजुट करने का काम किया और अभी भी कर रही है। इप्टा के प्रदेश सचिव इन्द्र भूषण रमण बमबम ने कहा कि इप्टा की मधुबनी इकाई ने अपनी सांस्कृतिक दायित्व  के साथ-साथ सफाई, बाढ़ एवं अन्य कार्यों में भी अपने सामाजिक दायित्वों का भी निर्वाह किया है। उन्होंने कहा कि हम 25 मई 1943 से जनता की आवाज़ हैं,  जो जनता की बात जनता को जनता तक पहुचाती रही है। इप्टा की असली नायक जनता है। उन्होंने कहा कि इप्टा का नामांकन डॉ०होमी जहांगीर भाभा ने किया था। "सारे जहां से अच्छा" गीत  की धुन जो आज भारतीय सेना भी गाती है उसे  इप्टा के सेंटल सांस्कृतिक जत्था के लिए पंडित रविशंकर ने तैयार किया था। सुभाष चंद्र बोस, सरोजनी नायडू, प्रोफेसर हिरेन मुखर्जी, ख्वाजा अहमद अब्बास, बलराज साहनी, पृथ्वीराज कपूर, संजीव कुमार, नर्गिस, नंदिता दास, सबाना आज़मी, हसरत जयपुरी आदि इप्टा से जुड़ी हुई प्रमुख हस्ती में से हैं। कार्यक्रम की शुरुवात राजनीति रंजन के गायन से हुवा। इस अवसर पर एक नाटक "मांझी रे" का मंचन रमेश, अंशु, प्रभात, अभिषेक, रंजीत, रौशन, मिथिलेश, पंचम प्रकाश, अर्जुन राय, हसन, हरिनारायण, मिन्नी कुमारी, जूही कुमारी, सपना, कौशल और अन्य लोगों ने मिल कर किया। "मांझी रे" नाटक में अकेले पहाड़ को काटकर रास्ता बनाने वाले दशरथ मांझी की कहानी उनके संघर्षों और प्रेम के साथ-साथ भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणा को दिखाया गया है।  नाटक को पंचम प्रकाश ने लिखा जबकि नाटक का निर्देशन पीयूष कुमार ने किया। नाटक के  मंचन के बाद मिथिला का लोक नृत्य झिझिया का मंचन काजल, गीता, सीता, मोनी, सोनी, अपराजिता साधना, दीक्षा, महिमा, स्तुति सोनी ने किया।  मंच का संचालन श्री प्रसाद दास ने किया।

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