प्रधानमंत्री जो परिवर्तन लाये हैं, उससे देश का नाम रोशन हुआ है - नायडू - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 28 सितंबर 2018

प्रधानमंत्री जो परिवर्तन लाये हैं, उससे देश का नाम रोशन हुआ है - नायडू

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रांची, 27 सितंबर, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने गुरूवार को यहां कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वच्छता समेत विभिन्न मोर्चों पर देश में जो क्रांतिकारी परिवर्तन लाये हैं उससे पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन हुआ है। उपराष्ट्रपति ने यहां नामकुम इलाके में ‘स्वच्छता ही सेवा’ कार्यक्रम में अपने संबोधन में यह बात कही। उन्होंने कहा कि हमारा देश सबसे पहले ‘क्लीन इंडिया’ होना चाहिए। भारत में स्वच्छता अभियान से यहां के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आये हैं और इसकी चर्चा पूरे विश्व में हो रही है। उन्होंने कहा कि वह हाल में अनेक देशों की यात्रा पर गये थे और उन सभी स्थानों पर भारत में हो रहे परिवर्तनों की चर्चा और प्रशंसा हो रही थी। नायडू ने अपने भाषण में मनुष्य द्वारा मल उठाने की कुप्रथा पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा “इस अमानवीय प्रथा को तत्काल समाप्त होना ही चाहिये। कानून होते हुए भी इस प्रथा का जारी रहना हमारे समाज की नैतिकता और कानून के प्रति शासन की प्रतिबद्धता पर प्रश्न खड़े करता है।’’  उन्होंने कहा कि नाली साफ करने वाले सफाईकर्मियों की मृत्यु, हमारे सभ्य होने पर संशय पैदा करती है। नायडू ने कहा कि स्वच्छ जनांदोलन, एक कृतज्ञ राष्ट्र की अपने आदर्श पुरुष राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति विनम्र श्रद्धांजलि है। उन्होंने कहा कि “गांधी जी ने स्वच्छता को शुभता और ऐश्वर्य का पर्याय माना। एक समाज सुधारक के रूप में, गांधी जी का मानना था स्वच्छता राजनैतिक आजादी से महत्वपूर्ण है।” उपराष्ट्रपति ने आयुष्मान भारत योजना की सराहना करते हुए कहा “रोग के उपचार से बढ़कर रोग का प्रतिकार, स्वास्थ्य की अधिक प्रभावी गारंटी है। रोगों के प्रतिकार के लिये सामुदायिक और निजी स्वच्छता, शुचिता, सस्ता और प्रभावी माध्यम है।” यूनीसेफ के अध्ययन का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि “स्वच्छता और शुचिता से एक परिवार प्रतिवर्ष उपचार आदि पर होने वाले 50,000 रुपये के खर्च की बचत कर सकता है। भारत में ही प्रतिवर्ष एक लाख बच्चे अस्वच्छता के कारण डायरिया जैसी बीमारी के शिकार हो जाते हैं।’ नायडू ने विश्व बैंक के अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि “मलिनता के कारण प्रतिवर्ष हमारी विकास दर प्रभावित होती है।” उपराष्ट्रपति ने आह्वान किया “यदि हममें से प्रत्येक यह संकल्प ले कि अपने घर, कार्यालय, पार्कों या सार्वजनिक स्थानों पर बिखरे प्लास्टिक के कुछ ही थैलों को कूड़ेदान में डालेगा, तो आप पायेंगे कि आपका यह छोटा सा कार्य ही प्रेरणा बनकर शनै: शनै: समाज में सामुदायिक स्वच्छता का संस्कार बन जायेगा। एशियन डेवेलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) द्वारा झारखंड में किये गये अध्ययन का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा “महिला समूहों में सामुदायिक और निजी शुचिता के प्रति जागरूकता और आग्रह बढ़ा है। महिलायें अपने परिवारों में भी शुचिता को लेकर जागरूक हुई हैं। गत वर्षों में दस्त के मामलों में 23 प्रतिशत और अनीमिया के मामलों में 10 प्रतिशत की कमी आयी है। ये निष्कर्ष भविष्य के प्रति आशान्वित करते हैं।” शौचालयों के रखरखाव के विषय में उपराष्ट्रपति ने कहा “शौचालयों का रखरखाव, मरम्मत और गुणवत्ता इस जन आंदोलन की स्थायी सफलता के लिये आवश्यक हैं। ऐसी शिकायतें मिली हैं कि शौचालय सिर्फ सरकारी कागजों पर ही हैं, वास्तविकता में नहीं। इस संशय को दूर करने के लिये नवनिर्मित शौचालयों को वेबसाइट पर अपलोड किया जा रहा है।”  नायडू ने कहा, ‘‘हमने 2019 में राष्ट्रपिता बापू की 150वीं जयंती तक स्वच्छ भारत के स्वप्न को साकार करने का संकल्प लिया है और यह संकल्प ही हमारे स्वच्छ जनांदोलन की प्रेरणा है।’’

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