पूर्णिया : मसाले की खेती कर किसान बढ़ा सकते हैं आमद, रबी फसल भी नहीं होगी प्रभावित, मिर्च बेहतर विकल्प - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 23 सितंबर 2018

पूर्णिया : मसाले की खेती कर किसान बढ़ा सकते हैं आमद, रबी फसल भी नहीं होगी प्रभावित, मिर्च बेहतर विकल्प

- मसाले की खेती पर 50 प्रतिशत अनुदान, एक एकड़ में तीस हजार का आएगा खर्च 


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पूर्णिया (कुमार गौरव) जिले के किसान मसाले की खेती कर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। किसान इस माह में भी मिर्च की फसल लगा सकते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि काेसी और सीमांचल की मिट्‌टी मसाले की खेती के लिए बेहद उपयुक्त है। यहां की मिट्‌टी में नमी के साथ साथ पोषक तत्वों की कोई कमी नहीं है। खासकर मिर्च व धनिया की खेती के लिए किसानों को अलग से कुछ करने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती है। बता दें कि संसाधन होने के बाद भी सरकार के द्वारा जिले में मसाले की खेती को बढ़ावा देने के लिए कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया है। जबकि विभाग किसानों को मसाले की खेती के लिए 50 प्रतिशत तक अनुदान दे रहा है। इसके लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन देने होंगे।

...मसालों की फसल के लिए यहां मिट्‌टी सबसे उपयुक्त : 
मसालों में हल्दी, धनिया, जीरा, मेथी और मिर्च है। इस समय आप मिर्च की खेती करे सितंबर माह में लगने वाले मिर्च 60 दिनों में तैयार हो जाएंगी। यह हल्की दोमट मिट्‌टी में होगी। मिर्च की खेती के लिए खेतों को दो से तीन बार जुताई की जाती है। साथ ही प्रति जुताई पलटा से खेत को समतल बनाया जाता है। मिर्च बोने के लिए बनाई जा रही नर्सरी के लिए मिट्टी को हल्की, भुरभुरी व पानी को जल्दी सोखने वाली बना ली जाती है। खेत की जुताई करते समय ही उर्वरक व जैविक आदि का प्रयोग कर खेतों में पाेषक तत्वों को भी डाल दिया जाता है। मिर्च के पौधे लगाते समय पौधे की दूरी 1.5 से 2 फीट रखनी चाहिए। पौधे लगाने के 60 से 70 दिन के बाद मिर्च निकलना शुरू हो जाता है। 

...इन प्रखंडों में होती है मसाले की खेती : 
जिले के पूर्णिया पूर्व प्रखंड के रानीपतरा, चांदी कठुआ समेत 10 पंचायतों में मसाले की बहुतायत में खेती होती है। वहीं डगरूआ प्रखंड के अलावे जलालगढ़, बायसी, अमौर, बैसा, रूपौली, भवानीपुर में भी किसान मसाले की खेती करते हैं। यहां के किसान मिर्च, धनिया और हल्दी की खेती करते हैं। बता दें कि इन क्षेत्रों की मिट्‌टी मसाले की खेती के लिए उपयुक्त है। किसान इस मौसम में भी मिर्च की खेती कर अपनी आय बढ़ा सकते हैं। 

...इन किस्मों का लगाएं पौधा तो उत्पादन होगा बेहतर : 
पूसा ज्वाला : इसके पौधे छोटे आकार के और पत्तियां चौड़ी होती हैं। फल 9-10 सेमी लंबे, पतले, हल्के हरे रंग के होते हैं जो पकने पर हल्के लाल रंग हो जाते हैं। इसकी औसत उपज 75-80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। 

पूसा सदाबहार : इस किस्म के पौधे सीधे व लंबे 60-80 सेमी होते हैं। फल 6-8 सेमी लंबे, गुच्छों में, 6-14 फल प्रति गुच्छा में आते हैं तथा सीधे ऊपर की ओर लगते हैं। पके हुए फल चमकदार लाल रंग ले लेते हैं। औसत पैदावार 90-100 क्विंटल, हरी मिर्च के लिए तथा 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर सूखी मिर्च के लिए होती है। 

...ऐसे करें आवेदन : 
किसानों को कृषि विभाग के साइट पर जाकर पंजीकरण कराना होता है। इसके साथ ही पंजीकरण संख्या के साथ एक आवेदन पत्र, दो फोटो, आधार कार्ड की छायाप्रति, बैंक पासबुक की छायाप्रति, जमीन की अद्यतन रसीद की छायाप्रति अपने प्रखंड के उद्यान विभाग के कार्यालय में जमा करना होता है। 

...विशेष जानकारी : 
- एक एकड़ मिर्च लगाने में 30 हजार का आएगा खर्च 
- 30 हजार का 50 प्रतिशत मिलेगा अनुदान 
- रजिस्ट्रेशन कराने के वक्त दो फोटो ,आधार कार्ड की छाया प्रति, बैंक पासबुक की छाया प्रति, जमीन की अद्यतन रसीद की छाया प्रति जरूरी 

...मसाले की खेती पर किसानों को मिलेगा अनुदान : 
मसाले की खेती करने वाले किसानों को अपना आवेदन सही सही भर कर प्रखंड कार्यालय में जमा करना होगा। उसके बाद उसकी जांच की जाएगी। जांच के बाद उनके अनुदान की राशि किसानों के बैंक खाते के माध्यम से दे दी जाएगी। हालांकि अबतक जिले को सरकार के द्वारा मसाले की खेती को बढ़ावा देने के लिए कोई लक्ष्य नहीं दिया गया है। : उपेंद्र कुमार, सहायक उद्यान निदेशक, पूर्णिया।

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