जो सिद्धपीठ स्थान के रुप में जानी और मानी जाती हैं।
बेगूसराय (अरुण शाण्डिल्य) मंदिर के दरबार में हाजिरी लगाने वाले सभी भक्तों की मनोकामना पूरा करती है माँ। बेगूसराय सिद्ध पीठ की बड़की दुर्गा अस्थान बीहट।बेगूसराय बीहट के गुरुदासपुर टोला में है सिद्ध पीठ यहाँ पर एक दुर्गा का मंदिर है।जहाँ माँ दुर्गा का मंदिर पूरे जिला में सबसे ऊँचा दुर्गा मंदिर है।यह मंदिर 11 मंजिला का 185 फीट ऊंचा है।इस मंदिर का निर्माण जन सहयोग से करोड़ों रुपए की लागत से बनाया जा रहा है।दुर्गा मंदिर को नए सिरे से नव निर्माण का कार्य 14 फरवरी 2009 से प्रारंभ हुआ था।जो अभी तक मंदिर का जीर्णोद्धार का काम लगातार चल रहा है।बीहट गाँव निवासी गुरदासपुर टोला के सुरेंद्र सिंह उर्फ शुरो सिंंह कहते हैं कि यहाँ हजारों वर्षों से माँ दुर्गा की पूजा अर्चना चलते आ रहा हैं। पहले यहाँ झोपड़ी में ही पूजा अर्चना किया जाता था। उसके बाद मिट्टी का मंदिर बना। 1959 में जब गंगा के पानी का बाढ़ यहाँ पर आया तो उसमें मिट्टी का बना मंदिर पानी में गिर गया।उसके बाद इस गांव के स्वर्गीय भुवनेश्वर सिंह और स्वर्गीय राम प्रताप सिंह की पत्नी स्वर्गीय सावित्री देवी ने मिलकर दुर्गा मंदिर का निर्माण ईटा से बन वाया। उसके बाद पूरे बीहट गाँव व अन्य गांव के लोगों के जन सहयोग से माता दुर्गा के भव्य मंदिर के नव निर्माण का कार्य फिलहाल अभी भी चल रहा है। इस मंदिर के प्रधान पुजारी बीहट गांव के पंकज कुमार सिंह उर्फ फलाहारी बाबा कहते हैं कि जब से इस मंदिर का नव निर्माण का कार्य शुरू हुआ है तब से मैं माँ भगवती की सेवा लगातार पिछले 12 वर्षों से करते हुए आ रहा हूँ। फलाहारी बाबा दोनों शाम फल खाकर ही रहते हैं।कभी अपने पैर में चप्पल भी नहीं पहनते हैं।एक बार की आँखों देखाहाल है कि मंदिर प्रांगण में एक विषधर गेहुंमन सांप कहीं से आ गया था।सभी ग्रामीण लोग मिलकर उस साँप को मारना चाह रहे थे ।लेकिन उस सांप को बचाने के लिए फलाहारी बाबा ने ग्रामीणों से अनुरोध किया कि कोई सांप को नहीं मारे।मैं इसे अपने हाथों से पकड़ कर कहीं दूसरे जगह पर जाकर इसे छोड़ देता हूं। इसी क्रम में फलाहारी बाबा उस विषधर साँप के मुँह को अपने दाहिने हाथ से पकड़े और उस विषधर साँप ने उन्हें डस लिया। सांप के डसने के बाद वह दुर्गा माता जी के मंदिर के स्थान में आए और भगवती के चरणों में गिर गए और कहा या तो माँ मुझे मार के ले चलो या तो मुझे बचा लो।गांव के सभी लोग समझ गए कि अब फलाहारी बाबा को मरने से कोई बचा नहीं सकता है।लेकिन दुर्गा माता की महिमा देखिये उनकी असीम कृपा से उनको बाल बांका तक भी नहीं हुआ।अंत में फलाहारी बाबा को सभी लोगों ने मिलकर सुशील नगर स्थित एलेक्सिया हॉस्पिटल में भर्ती कराया।जहां डॉ शशिभूषण सिह के द्वारा फलाहारी बाबा के शरीर का जब जांच किया गया,तो उनके शरीर में साँप का विष नहीं था।अंत में डॉक्टर ने एक टीटभेक की सुई लगाकर उन्हें घर जाने के लिए कहा।यह है साक्षात यहाँ के मंदिर स्थित माँ की कृपा।इस स्थान म़े ऐसे सैकड़ों लोग मंदिर में दरबार लगाने के लिए सालों भर आते रहते हैं।जिन्हें पुत्र रत्न धन की प्राप्ति,सरकारी नौकरी के अलावे शरीर में कोई अन्य रोगों से निजात पाने के लिए भी श्रद्धालु पूजा-अर्चना मंदिर के प्रांगण में करने आते हैं।जहां उनकी सारी मनोकामनाएं माँ दुर्गा की कृपा से पूर्ण होते हैं।इस मंदिर के प्रांगण में माँ दुर्गा का निशा पूजा होने के बाद मध्य रात्रि में ही आम श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए पट खोल दिया जाता है।विजयादशमी के दिन दिन के 3:00 से 4:00 बजे अपराह्न में माँ की प्रतिमा को विसर्जन के लिए मंदिर से उठा लिया जाता है। माँ दुर्गा के विसर्जन करने में पूरे गांव के बूढ़े,बच्चे,जवान तथा महिलाएं शामिल होती हैं।विजयादशमी के मध्य रात्रि बाद पूरे गांव घुमाते हुए सिमरिया धाम के गंगा तट पर माँ दुर्गा के प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है।फलाहारी बाबा पंकज कुमार बेगूसराय जिला वासियों से एक बार अनुरोध करते हैं कि अवश्य बीहट स्थित सिद्धपीठ माँ दुर्गा स्थान में दर्शन करने के लिए विजयादशमी के अंदर जरूर भक्त श्रद्धालु गण यहाँ पहुंचे ,यहाँ माँ की असीम कृपा बरसाती है श्रद्धालुओं पर।
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