सुअर के बखौरनुमा झोपड़ी में रहते हैं नीतीश कुमार के महादलित मुसहर
सहरसा। इस जिले में है सोनवर्षा प्रखंड.इसमें सहसौल ग्राम पंचायत हैं.मुखिया हैं शिवेंद्र सिंह और वार्ड नं.3 के वार्ड सदस्य हैं मनोज कुमार. दोनों प्रतिनिधियों की नजर सरूवा मुसहरी वासियों पर नहीं है. इसके कारण विकास की रोशनी 80 परिवार सुअर के बखौरनुमा झोपड़ी में रहते हैं.10 फीट चौड़ी और 20 फीट लम्बी झोपड़ी है.सी.एम. नीतीश कुमार के महादलित मुसहर सुरसई नदी व छोटकी घाट के मध्य में 125 साल से रहते हैं.आजादी के 71 साल के बाद भी आबादी के 400 लोगों में से कोई मैट्रिक उर्तीण नहीं हैं.इसी से विकास नापा जा सकता है.
जी हां यही स्थिति और परिस्थिति यहां है.बिहार में भूमि स्वामित्व का कानून है.मगर लागू नहीं किया जा रहा है.आवासीय भूमिहीन हैं मगर इनको पांच डिसमिल जमीन नहीं दी जा रही है. सुअर के बखौरनुमा झोपड़ी में रहते हैं मगर वासगीत पर्चा निर्गत नहीं किया जा रहा है.भूमि अभाव में सरकारी योजनाओं का मकान नहीं बन रहा है. सामाजिक सुरक्षा पेंशन देने का प्रावधान नहीं है.सुकन सादा का पुत्र सूरज कुमार हैं.पोलियों मार देने से दिव्यांग हो गया है.आंख से अंधी हैं सुदामा देवी.दोनों को पेंशन नहीं मिलता है.22 लोगों के पास बी.पी.एल.कार्ड है.दुलार देवी कहती हैं कि जवान लोगों के नाम से अलग से बी.पी. एल.कार्ड नहीं बनता है. ईट के अभाव में फूस की दीवार है. टीन का चादर देकर रहने वाले रोजगार की तलाश में महादलित पलायन को बाध्य हैं.यहां मर्द और नारी को 100 रू.किसान देते हैं. रोपनी समय में 50 रू.और जलपान में एक रोटी और कुछ सब्जी देते हैं. छुआछुत बरकरार है.महादलितों को केला का पत्ता पर जलपान मुहैया किया जाता है. मंगली देवी, श्यामतलिया देवी, प्रयासमन देवी आदि ने सी.एम.नीतीश कुमार से आग्रह किए हैं कि महादलितों को रहने के लिए पांच डिसमिल और खेती करने के लिए एक बीद्या जमीन दें.
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