डूमर। एक माह से बीमार है पांच साल का श्रीकांत कुमार (मंजीत). वह रक्तहीनता और दस्त से बेहाल है.शरीर में 17 प्रतिशत हिमोग्लोबिन रहने से दो यूनिट ब्लड चढ़ाया गया.उसका सिटी स्केन ब्रेन का किया गया.सेरेब्रल पेल्सी नहीं है.चिकित्सकों ने आशा के सहयोग से पीएचसी में जांच करवाने का परामर्श दिए हैं जिससे पता चल सके कि श्रीकांत कुमार एक्यूड फ्लेक्सिड पारालासिस के शिकार तो नहीं हो गए हैं? समेली प्रखंड में है डूमर ग्राम पंचायत. इस पंचायत में है तिरासी टोला है.यहां पर दिनेश चौधरी और शोभा देवी रहते हैं.इन दोनों के आठ संतानों में 6 जीर्वित हैं. तीन लड़के तीन लड़कियां हैं. इनमें से सिर्फ इंदु देवी की ही शादी हुई है.शेष 5 अविवाहित हैं.उन्हीं में से एक श्रीकांत उर्फ मंजीत बीमार है.पांच साल का है. उक्त रोगी को लेकर पिता दिनेश चौधरी और माता शोभा परेशान है. पिता मजदूर और माता गृहणी है.दोनों मिलकर पुत्र मंजीत कुमार को समेली से लेकर भागलपुर तक इलाज करा कर थक गए. रोगी की माँ शोभा देवी कहती है कि लोकल चिकित्सक कहते है कि लीवर कमजोर है.दस्त रूकने का नाम नहीं ले रहा था,तब श्रीकांत कुमार ( मंजीत कुमार) को भागलपुर ले गए. जांचोपरांत पता चला कि एचबी 2.5 है.तब दिनेश चौधरी ने रक्तदान करके एक यूनिट बल्ड दिए.पांच हजार रू.में द्वितीय यूनिट ब्लड खरीदकर चढ़वाया गया. वह 5 साल का है और वजन 11 किलो है.महीनों रोज से दस्त से बेहाल को चिकित्सकों के साथ समेली व बरारी में ले जाकर झारफूंक भी कराया गया. रोगी की दीदी सिंधु कुमारी कहती हैं कि भागलपुर के चिकित्सक कहते हैं कि सेरेब्रल पेल्सी नहीं है.डूमर पंचायत की आशा कार्यकर्ता से सहयोग लेकर पीएचसी,समेली में मरीज को दिखा लें.यहां की आशा कार्यकर्ता किरण भारती है. प्रारंभिक लक्षण के अनुसार अंडर फाइव मंजीत कुमार को एक्यूड फ्लेक्सिड पारालासिस ? Acute flaccid paralysis? अब तो चिकित्सक से दिखलाने के बाद ही मर्ज पता चलेगा.
सोमवार, 15 अक्तूबर 2018
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बिहार : चिकित्सकों से हारने के बाद ओझाओं के दर पर बैठी बड़की मइया को भरोसा ठीक हो जाएगा मंजीत
बिहार : चिकित्सकों से हारने के बाद ओझाओं के दर पर बैठी बड़की मइया को भरोसा ठीक हो जाएगा मंजीत
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