राज्यपाल पुरोहित का बयान, शिक्षा में भ्रष्टाचार की जड़ों का प्रमाण - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 8 अक्तूबर 2018

राज्यपाल पुरोहित का बयान, शिक्षा में भ्रष्टाचार की जड़ों का प्रमाण

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बिजय सिंह,आर्यावर्त डेस्क 8 अक्टूबर 2018, तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने खुलासा किया कि तमिलनाडु के विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति के लिए करोड़ों रुपये की बोली (घूसखोरी ) लगती  है. राज्यपाल के इस बयान को बड़े परिपेक्ष्य में देखा जाना चाहिए. निसंदेह यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भावी नेतृत्व को नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाले स्वयं पद पाने के लिए भ्रष्टाचार का सहारा लेते हैं.ऐसे में हम किससे उम्मीद करें कि वह व्यक्ति सच में राष्ट्र के निर्माण में भविष्य के कर्णधारों को मजबूत आधार दे पाएंगे. हिली हुयी जड़ों से तो मजबूत पेड़ की आशा नहीं की जा सकती. सच तो यह भी कि शिक्षा व्यापार और अनैतिकता का सबसे बड़ा गढ़ है. आप किसी भी कॉलेज या यूनिवर्सिटी को देखें ,हर कोई अपने को नंबर वन साबित करने पर तुला हुआ है.लुभावने विज्ञापनों की आड़ में फंसने वाले छात्र शिकायत भी किससे करें,जब शीर्ष में ही भ्र्ष्टाचार का बोलबाला हो.  जिस राज्य में कुलपति पैसे देकर पद पाता हो उस राज्य में कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की मनमानी को राज्य सरकार या राज भवन कितना लगाम लगा पाएंगे ,यह देखना जरुरी है. राज्यपाल पुरोहित के इस दावे को हलके में नहीं लिया जाना चाहिए बल्कि जरुरत है त्वरित जांच की कि अब तक कितने कुलपतियों ने पैसे और पैरवी के बल पर पद हासिल किया है .जांच इस बात की भी होनी चाहिए कि कुलपतियों की दौड़ में पीछे रह गए प्रत्याशियों का चयन क्यों नहीं हुआ ? चयनित कुलपतियों की प्रतिभा किन कारणों से बाक़ी प्रत्याशियों से ज्यादा मजबूत थी ? पद पर विराजमान रहे कुलपतियों के कार्यकाल में किन किन लोगों ने ठेका पट्टी पायी , विभिन्न पदों पर कुलपतियों के अधिकार क्षेत्र में आने वाली नियुक्तियों का आधार क्या था ? राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित की बात का समर्थन स्वयं अन्ना यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति बालगुरुस्वामी ने करते हुए यहाँ तक कहा कि 2005 से अब तक बिना पैसे दिए किसी भी कुलपति की नियुक्ति नहीं हुई.यह सचमुच दुर्भाग्यपूर्ण है .राज्यपाल ,जो स्वयं विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होते हैं,को तुरंत इसकी जांच करनी चाहिए,दोषियों को सजा दिलाने की कार्यवाई की जानी चाहिए और शिक्षा में फैलते भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए जरुरी कदम उठाने चाहिए.काबिलियत के आधार पर नियुक्ति सुनिश्चित हो. तभी राज्यपाल पुरोहित की भावना समाज हित में साकार हो पाएगी वर्ना पैसे के बल पर शीर्ष पद पाने वाला शिक्षा माफिया सुधार कम वसूली पर अधिक ध्यान देगा और भुक्तभोगी बनेंगें देश के नौनिहाल.

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