नई दिल्ली चार अक्टूबर, असम में अवैध रूप से रह रहे सात रोहिंग्या प्रवासियों को वापस लौटने की इच्छा की ‘‘पुष्टि’’ किए जाने और म्यामां की सरकार की ‘‘पूर्ण सहमति’’ से उन्हें वापस भेजा गया। यह जानकारी विदेश मंत्रालय ने वृहस्पतिवार को दी। उच्चतम न्यायालय द्वारा सात अवैध प्रवासी रोहिंग्या को म्यामां पहली बार वापस भेजे जाने की अनुमति दिए जाने के बाद एमईए ने बयान जारी किया। उच्चतम न्यायालय ने एक रोहिंग्या की याचिका खारिज कर दी जिसमें उसने केंद्र द्वारा वापस भेजे जाने पर रोक लगाने की मांग की थी। अदालत के आदेश के तुरंत बाद संबंधित अधिकारियों ने सात अवैध प्रवासियों को वापस भेज दिया जो 2012 में भारत में घुसे थे। इस मुद्दे पर सवालों का जवाब देते हुए एमईए के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, ‘‘वापस भेजे जाने की उनकी इच्छा की पुष्टि करने (तीन अक्टूबर 2018 को) और म्यामां सरकार की पूरी सहमति से... असम की सरकार ने इन सात लोगों को म्यामां वापस भेजने का प्रबंध किया।’’ उन्होंने कहा कि यहां म्यामां के दूतावास ने एमईए के सहयोग से उस देश में इन लोगों की पहचान स्थापित की। कुमार ने बताया कि म्यामां की सरकार ने इन लोगों को रखाइन प्रांत में उनके घर तक यात्रा सुविधा के लिए पहचान का प्रमाण पत्र भी जारी किया है। कुमार ने कहा, ‘‘लोगों ने 2016 में आग्रह किया था कि म्यामां के दूतावास को उन्हें संबंधित यात्रा दस्तावेज जारी करना चाहिए ताकि वे अपने देश लौट सकें।’’ म्यामां के रखाइन प्रांत के सात लोगों को 2012 में विदेशी कानून उल्लंघन मामले में हिरासत में लिया गया था।
गुरुवार, 4 अक्तूबर 2018
म्यामां की ‘पूर्ण सहमति’ से सात रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजा गया : एमईए
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