आईपीसी व आईटी एक्ट की सुसंगत धाराओं के दुरुपयोग व सायबर अपराध के दुष्परिणामों पर
सांस्कृतिक, आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक स्तर पर जैसे-जैसे हमारी उपस्थिति विश्वस्तर पर महत्वपूर्ण होती जा रही है, हमारा व्यक्तिगत आचरण उतना ही निम्नस्तरीय होता जा रहा है। छोटे-छोटे स्वार्थ की खातिर लोग घर-परिवार, सगे-संबंधी, अपना-पराया भूलते जा रहे हैं। जिसे जहाँ मौका मिल रहा, दूसरों को ठगने, लूटने व उनके शोषण से बाज नहीं आ रहे। कोई संस्कार नहीं। कोई विचार नहीं। कोई सैद्धान्तिक मिजाज नहीं। कहीं कोई अपने ही परिवार को गुमराह कर उन्हें लूट रहा है तो कहीं कोई पड़ोसियों को। गिरोह बनाकर कहीं लोग किसी समाज को लूट रहे तो कहीं-कहीं देश को ही दाव लगाया जा रहा है। कोई मानवता, कोई दार्शनिकता, कोई भाईचारा नहीं। हर एक को ऐश-मौज की जिन्दगी चाहिए। वह भी बिना किसी शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक योग्यता के। बस हाथ में दो-एक मोबाइल हो, इसी अनुपात में लैपटॉप, दस-बीस सीम व दो-चार इन्टरनेट का तेजी से काम कर रहे सर्वर वाला स्थान। मात्र दो-चार, दस-बीस हजार की पूँजी में करोड़पति-अरबपति बनने का स्वप्न हर किसी की आँखों पर सहजता से दिखायी दे रहा। खासकर युवाओं में यह दुर्गुण तेजी से फैलता जा रहा है। कम उम्र बच्चे मोबाइल के सहारे एक ही रात में अरबपति बनने का ख्वाब रख रहे हैं। पाई-पाई जोड़कर चाहे कोई अपनी बेटी के व्याह के लिये बैंक में पैसा जमा कर रखा हो या फिर कोई अपने पुत्र-पुत्री, माँ-बाप, सगे-संबंधियों के असाध्य रोगों के इलाज के लिये। भविष्य में दो जून रोटी के लिये किसी ने बैंक में पैसे जमा कर रखे हों या फिर नौकरी-धंधा, कल-कारखानों के लिये। मजदूरों के भुगतान के लिये कहीं बैंक में पैसा रखा गया हो या फिर बची-खुची पूँजी के सहारे लोग अपनी-अपनी घर-गृहस्थी चलाने के लिये पैसे जमा कर रखे हों। हर कोई आज भयभीत है। पता नहीं कौन, कहाँ और कब सायबर ठगी का शिकार हो जाए। सायबर ठगों से पूरी कायनात भयभीत दिख रही इन दिनों। मोबाइल फोन पर कहीं कोई अपना एटीएम नम्बर देकर ठगा जा रहा है तो कोई आधार कार्ड संख्या देकर। कहीं कोई खाता संख्या देकर ठगा जा रहा है तो कहीं कोई इन चीजों को शेयर किये बिना। बड़ी होशियारी से बैंक का एकाउण्टेंट कहकर कोई किसी को ठग रहा है तो कहीं ग्राहकों से एटीएम हेडक्वार्टर के इम्प्लाई का हवाला देकर ठग रहा। स्थिति काफी विकट होती जा रही है। छोटे-छोटे बच्चे पूरी होशियारी के साथ सायबर अपराध की ओर तेजी से आकर्षित होते जा रहे। किसी का भी जमा रकम किसी दूसरे के खाते में ट्रान्सफर कर उसे उड़ा लिया जा रहा। कई-कई लोग बिना किसी अपराध के पुलिस के हत्थे चढ़ रहे। उन्हें पता ही नहीं होता कि उनके खाते में पैसे कहाँ से आ रहे। खाते में थोड़ी देर के लिये पैसे तो आते हैं फिर अचानक उसी तरह दूसरे-तीसरे में ट्रान्सफर हो जा रहे पैसे। सायबर ठगों से इतर कई निर्दोष इन दिनों बन रहे बलि का बकरा।
पश्चिमी सिंहभूम (झारखण्ड) के सोनुवा थाना क्षेत्र के ग्राम सोनापोस निवासी काजल (सम्प्रति बावनबीघा, कास्टर टाउन, देवघर में निवास) एक दवा कम्पनी में बतौर मेडिकल रिप्रजेंटेटिव कार्यरत है। तीन-सवा तीन सौ किमी दूर देवघर में नौकरी कर शांतिपूर्वक वह परिवार का जीविकोपार्जन चला रहा था। उसे क्या पता कि उसके वेतन खाते में जमा सारी जमापूँजी अचानक गायब हो जाऐगी ? अपने बैंक खाते से जब वह रकम निकालने गया तो उसके होश उड़ गए। उसके वेतन खाते से 1, 62, 050 रुपये की अवैध निकासी कर ली गई थी। आनन-फानन में पीड़ित मेडिकल रिप्रजेंटेटिव काजल सायबर थाना पहुँच गया। थाने में अवैध रुप से पैसे उड़ाने की लिखित शिकायत उसने दर्ज करायी। पीड़ित ने भी कहा कि अपने एटीएम व पासवर्ड उसने किसी के साथ अब तक शेयर नही किये, बावजूद उसके बैंक खाते से मोटी राशि की अवैध निकासी कर ली गई। पीड़ित का सैलेरी एकाउण्ट एसबीआई चैमियर्स रोड चेन्नई में है। 12 सितम्बर 18 को वह अपने एकाउंट से पैसा निकालने गया। इनसफिसिऐंट बैलेंस उसके खाते में बताया गया। पासबुक अद्यतन कराया तो पता चला 23 अगस्त को चार अलग-अलग मर्तबा उसके खाते से 74, 000 हजार रुपये की निकासी कर ली। दो मर्तबा किसी किशोरी सिंह के एकाउंट से 43, 050 रुपये ट्रांसफर कर लिया गया। 2 सितम्बर 18 को दो मर्तबा 36, 500 रुपये, 5 सितम्बर को 500 रुपये व 10 सितम्बर को 8, 000 हजार रुपये की निकासी कर ली गईं। इसी तरह भागलपुर के सेवानिवृत्त डीईओ फूल बाबू चौधरी की दो बेटियों के खाते से सायबर ठगों ने 10. 28 लाख रुपये उड़ा लिये। 21 अगस्त को जोगसर (भागलपुर) ओपी में सायबर ठगों के विरुद्ध पीड़ित पक्ष ने लिखित शिकायत दर्ज करायी। भागलपुर के एस एस पी आशीष भारती ने सायबर सेल प्रभारी अजीत कुमार व जोगसर थाना प्रभारी राजनंदन कुमार के नेतृत्व में टीम गठित कर मामले के उद्भेदन की जिम्मेवारी सौंपी। भागलपुर व जोगसर थाने की पुलिस ने देवघर व जसीडीह (झारखण्ड) में लगातार छापेमारी कर 3 सायबर ठगों जसीडीह न्यू टेंपों स्टैंड निवासी अगम वर्णवाल (पिता सूर्य नारायण वर्णवाल) बमबम बाबा ब्रहम्चारी पथ, देवघर व साहिबगंज जिलान्तर्गत हाजीपुर भीठा निवासी (सम्प्रति भुरभुरा, देवघर में निवास) दीपक साह (पिता उपेन्द्र प्र0 साह) व सिंटू कुमार वर्णवाल (पिता शंभु वर्णवाल) ग्राम मटिया (लक्ष्मीपुर) जमुई को गिरफतार कर लिया। एस एस पी भागलपुर आशीष भारती ने कहा गिरफतार दीपक का भाई मनीष गिरोह का संचालन करता था। घोरमारा (मोहनपुर) देवघर स्थित अपने ससुराल में ही सायबर ठगी की ट्रेनिंग उसने ली थी। फिर उसने एक गैंग बनाया। गैंग मे उसने सगे भाई दीपक सहित अन्य को शामिल कर लिया। पीड़ित फूल बाबू चौधरी के खाते से उड़ाया गया पैसा देवघर के अलग-अलग बैंकों से निकाला गया था। भागलपुर पुलिस ने अभियुक्तों से 1. 26 लाख रुपया नकद, 5 मोबाइल, 1 लैपटॉप, 2 बैंक खाता व 2 चेकबुक बरामद किया। झारखण्ड, बिहार, बंगाल, हरियाणा, एमपी, यूपी, राजस्थान, महाराष्ट्र, राजस्थान व गुजरात के सैकड़ों लोग सायबर ठगी के अब तक शिकार हो चुके हैं।
सायबर ठगी के मामले में कुख्यात जामताड़ा जिला का प्रखण्ड जामताड़ा, नारायणपुर व करमाटांड़ के बाद देवघर जिला का मोहनपुर प्रखण्ड दूसरे पायदान पर आ पहुँचा है। इस प्रखण्ड के दर्जनों गाँव के सैकड़ों युवक सायबर ठगी को अपना मुख्य पेशा बना चुके हैं। बिना किसी प्रशासनिक भय के सायबर ठगी को अंजाम दे रहे इन युवाओं से जिले के लोग तो भयभीत हैं हीं, दूसरे-तीसरे जिलों सहित झारखण्ड के पड़ोसी राज्यों के लोग भी भयभीत नजर आ रहे। सबसे सुरक्षित बैंकों से बिना किसी हुज्जत के जब पैसे उड़ा लिये जाते हों तो फिर लोग अपनी गाढ़ी कमाई रखें तो कहाँ रखें ? मोहनपुर (देवघर) थाना क्षेत्र के घोरमारा, मोरने, जतपुर, बांक, लतासारे, सिमरजोर, बांझी, बसडीहा, सनबदिया, डुमरिया, खरगडीहा, कोठिया जनाकी, बाराकोला, चितरपोका, मोहना, कनाली, बरदेहिया, चकरमा इत्यादि गाँवों में सायबर ठगों ने अपना आशियाना बना लिया है। उपरोक्त तमाम गाँवों में स्थित सायबर ठगों का पता व उनकी संपत्ति से संबंधित जानकारियाँ पुलिस ने जुटा रखी है। मोहनपुर थाना प्रभारी दीपक कुमार के अनुसार सभी सायबर ठगों का प्रोफाईल तैयार किया जा चुका है जिन्हें कभी भी दबोचा जा सकता है। मोहनपुर थाना क्षेत्र के दर्जनों गाँव में तकरीबन चार सौ सायबर ठग इन दिनों कार्य कर रहे हैं। सायबर सेल पुलिस ने धोरमारा के सुरनदेव, कुलील, लालू, विवेक, बांक के कमल शिशोर, जगतपुर के चंदन, लतासरे के कटला, बसडीहा के पिंकल, कोठिया जनाकी के गुड्डू व मंगरु के बारे में जानकारी मांगी है। सायबर ठगी पर लगातार काम कर रहे सायबर थानों के लिये ऐसे अपराधी अबूझ पहेली बनते जा रहे। कहीं-कहीं पुलिस का संरक्षण भी उन्हें प्राप्त हो रहा। कई-कई सायबर ठगां के बारे में पुख्ता जानकारी के बाद भी पुलिस उनके गिरेबां तक नहीं पहुँच पा रही। अनुसंधान के क्रम में पुलिस को भी आम जनता का कोपभाजन बनना पड़ रहा। सायबर ठगी में शामिल अपराधियों को घर-परिवार, गाँव का सहयोग भी प्राप्त हो रहा। पुलिस भी कहीं-कहीं खुद को असहाय महसूस कर रही। एण्ड्रायड मोबाइल की उपयोगिता के मद्देनजर केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा जहाँ एक ओर विभिन्न संचार-प्रसार माध्यमों से लोगों को जागरुक करने का कार्य किया जा रहा वहीं सायबर ठगां से बचने की पुख्ता जानकारी उन्हें नहीं दी जा रही। मोबाइल के माध्यम से बैंकों द्वारा दिए जा रहे मैसेज में एटीएम पिन कोड, आधार संख्या व पैन कार्ड नम्बर किसी से शेयर न करने के संदेश तो दिये जा रहे किन्तु इस तरह का कोई शिविर नहीं लगाया जा रहा जो गाँव-गाँव तक जागरुकता कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को संदेश दे सके। आई पी सी व आई टी एक्ट की विभिन्न धाराओं के दुरुपयोग व सायबर अपराध के दुष्परिणामों पर युवाओं को सचेत करने की जरुरत है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ ऐसे अपराधों की ओर प्रवृत्त होने से बच सकें।
अमरेन्द्र सुमन
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