नयी दिल्ली ,28 नवंबर, दिल्ली उच्च न्यायालय ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी क्षेत्र में सिख विरोधी दंगों के मामले में 88 दोषियों की सजा बरकरार रखी है । न्यायाधीश आर के गौबा ने बुधवार को निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया और सभी दोषियों को चार सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है । उच्च न्यायालय ने याचिका पर सितंबर में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। निचली अदालत ने इस संबंध में 1996 में फैसला सुनाया था और दिल्ली उच्च न्यायालय ने 22 वर्ष बाद इस निर्णय पर अपनी मुहर लगाई। निचली अदालत ने 27 अगस्त 1996 में फैसले में दोषियों को पांच.पांच साल कैद की सजा सुनाई थी। न्यायाधीश गाैबा ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए सभी दोषियों को चार सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने को कहा है। निचली अदालत ने 1996 में दिए अपने फैसले में दोषियों को घरों को जलाने और दंगों के दौरान कर्फ्यू का उल्लंघन करने का दोषी माना था और इस निर्णय के खिलाफ याचिका दाखिल की गई थी। इस मामले में 107 लोगों को गिरफ्तार किया गया था जिनमें से 88 को दोषी माना गया था। पिछले दिनों 1984 के दंगों से जुड़े एक मामले में एक व्यक्ति को मृत्युदंड और एक को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी।
बुधवार, 28 नवंबर 2018

सिख विरोधी दंगों में 88 दोषियों की सजा बरकरार
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