कानून हाथ में लेने के लिये मनोज तिवारी की आलोचना की
नयी दिल्ली, 22 नवंबर, उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को भाजपा सांसद मनोज तिवारी के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही बंद कर दी। न्यायालय ने अदालत द्वारा गठित समिति पर ओछा आरोप लगाने के लिये तिवारी की आलोचना करते हुए कहा कि यह दर्शाता है कि वह ‘‘कितना नीचे जा सकते हैं।’’ तिवारी ने सितंबर में यहां एक परिसर से नगर निकाय की सील को तोड़ दिया था। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत उनके आचरण की वजह से ‘काफी दुखी’ है क्योंकि वह निर्वाचित प्रतिनिधि हैं और उसने कानून अपने हाथ में लेने के उनके कृत्य की निंदा की। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि ‘‘गलत राजनीतिक प्रचार के लिये कोई जगह नहीं है’’ और ‘‘इस तरह के आचरण की निंदा की जानी चाहिये।’’ शीर्ष अदालत ने 19 सितंबर को दिल्ली भाजपा प्रमुख और पूर्वोत्तर दिल्ली के सांसद तिवारी के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया था। न्यायालय ने निगरानी समिति की रिपोर्ट का संज्ञान लेने के बाद यह नोटिस जारी किया था। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि भाजपा नेता ने परिसर की सील को तोड़ा। तिवारी के खिलाफ ईडीएमसी ने पूर्वोत्तर दिल्ली के गोकलपुरी इलाके में कथित तौर पर एक परिसर की सील तोड़ने के लिये प्राथमिकी दर्ज कराई थी। न्यायालय ने 30 अक्टूबर को मामले में दलीलों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था। उस दौरान तिवारी ने शीर्ष अदालत द्वारा गठित निगरानी समिति पर ‘दिल्ली के लोगों को आतंकित करने’ का आरोप लगाया था। समिति ने हालांकि दावा किया था कि वह न्यायालय को ‘राजनीतिक रणभूमि’ बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें