न्यूयॉर्क, 25 नवंबर, नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी का मानना है कि बंधुआ मजदूरी और बाल श्रम उन्मूलन संभव है और इसके लिए उन्होंने लोगों, विशेष रूप से दुनिया के युवाओं को गुलामी में जीने को मजबूर और यौन दुर्व्यवहार का सामना कर रहे बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में "सहयोगी" बनने का आह्वान किया। सत्यार्थी ने बताया, ‘‘बाल मजदूरी एक गंभीर समस्या है और दुनिया में अभी भी दासता अपने सबसे क्रूर रूपों में मौजूद है, लेकिन दासता और बाल श्रम उन्मूलन संभव है, यह हमारी पहुंच में है, इसलिए एक उम्मीद है।’’ बाल श्रम, बाल यौन शोषण और तस्करी से लड़ने के उनके लंबे प्रयासों पर केंद्रित यूट्यूब की मूल वृत्तचित्र 'द प्राइस ऑफ फ्री' 27 नवंबर को वैश्विक स्तर पर मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रसारित होने जा रही है। इस फिल्म में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और उनकी टीम के बारे में दिखाया जाएगा कि कैसे वे दासता और उत्पीड़न झेल रहे मजबूर बच्चों को बचाने के लिए गुप्त और जोखिमभरे छापे मारते हैं, साथ ही लापता बच्चों को खोजने के लिए कैसे साहसपूर्ण कदम उठाते हैं। 90 मिनट लंबी इस फिल्म को 2018 सनडांस फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया था, फिल्म ने ‘यूएस डॉक्यूमेंट्री ग्रैंड ज्यूरी प्राइज’ जीता था। सत्यार्थी ने कहा कि पिछले 17 वर्षों में वैश्विक प्रयासों से बाल मजदूरों की संख्या 26 करोड़ से कम होकर 15.2 करोड़ पर पहुंच गई है। उन्होंने कहा, "इसे पूरा करना संभव है। हम सही मार्ग पर हैं," उन्होंने कहा कि यह वृत्तचित्र बाल दासता को तेज गति से खत्म करने के प्रयासों में मदद करेगी।
रविवार, 25 नवंबर 2018
बंधुआ मजदूरी व बाल श्रम उन्मूलन संभव है: कैलाश सत्यार्थी
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