नई दिल्ली 13 नवंबर, सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को पूजा की इजाजत देने का आदेश वापस लेने की मांग वाली करीब 50 याचिकाओं की सुनवाई 22 जनवरी को करने का निर्णय लिया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की पीठ ने 28 सितंबर के आदेश को वापस लेने की मांग करने वाली याचिकाओं पर 22 जनवरी को सुनवाई करने का फैसला किया है। पीठ की अध्यक्षता प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने की। शीर्ष अदालत के आदेश ने केरल में लोगों के मन में लैंगिक समानता का भाव पैदा किया है। उदार विचारों वाले लोग जहां इस फैसले से खुश हैं, वहीं रूढ़िवादियों ने इस फैसले का खुलकर विरोध किया है। केरल भाजपा इकाई के अध्यक्ष को इस फैसले का विरोध करना अपनी पार्टी के लिए फायदेमंद नजर आ रहा है। भड़काऊ बयान पर पुलिस ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया है। दरअसल, देश की सत्ताधारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने जब सबरीमाला पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ बयान देना शुरू किया, तो उनका संकेत समझकर पार्टी की केरल इकाई सही मौका देखकर परंपरावादियों को गोलबंद करने और वाममोर्चा के शासन वाले राज्य में भाजपा को जगह दिलाने की जुगत में जुट गई है।
मंगलवार, 13 नवंबर 2018
सबरीमाला पर समीक्षा याचिकाओं की सुनवाई 22 जनवरी को
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