नयी दिल्ली, 20 नवंबर, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने न्यायपालिका में तत्काल सुधार की जरूरत पर बल देते हुये कहा है कि इस दिशा में विधायिका के साथ मिलकर काम किया जाना चाहिये जिससे पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से न्यायपालिका के उपयुक्त सदस्यों का चयन सुनिश्चित किया जा सके। नायडू ने मंगलवार को न्यायमूर्ति कृष्ण अय्यर की 104वीं जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह में कहा कि व्यवस्था के तीनों अंग कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बीच परस्पर सम्मान और समन्वय की भावना को बल दिया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बीच समन्वय और सम्मान की स्वस्थ परपंरा को मजबूत करना देश के विकास के लिए आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि संविधान निर्माताओं ने तीनों अंगों के अधिकारों, कर्तव्यों और भूमिका का जो स्पष्ट निर्धारण किया था, वह समय की कसौटी पर खरा उतरा है। नायडू ने कहा कि बीते सात दशक में व्यवस्था के तीनों अंगों के बीच कोई गंभीर मतभेद देखने को नहीं मिले हैं। उन्होंने भविष्य में भी इस परंपरा के जारी रहने का विश्वास व्यक्त किया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि न्यायमूर्ति कृष्ण अय्यर ने साल 2007 में व्यवस्थित न्याय प्रक्रिया के लिए व्यवस्था के तीनों अंगों के बीच पारस्परिक सौहार्द को आवश्यक शर्त बताया था। नायडू ने कहा ‘‘ये हमारी साझी चिंता और प्रयास होना चाहिए कि हम कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को सुदृढ़ बनायें जिससे हम जनता में तीनों अंगों के प्रति विश्वास को बरकरार रख सकें।’’ इस अवसर पर भाजपा के वरिष्ठ नेता डा. मुरली मनोहर जोशी, उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश विक्रमजीत सेन और प्रख्यात गांधीवादी डा. गुना राजेन्द्र रेड्डी को सम्मानित किया गया। कैपिटल फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता कानूनविद फली नरीमन ने की।
मंगलवार, 20 नवंबर 2018
न्यायपालिका में सुधार की तत्काल जरूरत : नायडू
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