मधवापुर/मधुबनी, 16 दिसंबर, 2012 की रात दिल्ली की सड़कों पर चलती बस में 'निर्भया' के साथ जो कुछ भी हुआ, वह बेहद दर्दनाक था. जो दिल्ली की 'निर्भया' के साथ घटा उससे कुछ कम-ज्यादा तो नहीं, लेकिन कमोबेश उतना ही वीभत्स मामला हरियाणा में रोहतक की 'निर्भया' के साथ भी हुआ.जो दर्द दिल्ली की 'निर्भया' ने सहा, उतना ही दर्द रोहतक की 'निर्भया' के हिस्से में भी आया. दोनों ही मौत से जिंदगी की जंग हार गई. मधवापुर की 'निर्भया' की दास्तां भी कुछ कम दर्दनाक नहीं है.बहरहाल मौत से जिन्दगी की जंग तो मधवापुर की" निर्भया'' जीत गयी,लेकिन जिन्दगी मौत से भी बदतर हो गयी है.जिन्दगी के तमाम रंग बदरंग हो गए हैं.वक्त का कोई भी मरहम शायद ही कभी बचपन में मिले उन जख्मों को भर सकेगा,जो जिस्म के भेड़ियों ने मधवापुर की मासूम "निर्भया'' को दिया है. 25 नवम्बर की मनहूस काली रात की परछांई से इस बदनशीब की जिन्दगी कभी बाहर नहीं निकल सकेगी.आंखों से बहते आंसू दरिंदगी की सारी सच्चाई बता रहे हैं. 25 नवम्बर,2018 की रात मधवापुर के करहुंआघाट से मेला देख कर अपनी सहेली के साथ घर लौट रही थी.बगल के गांव के दो मनचले युवकों ने दोनों को अगवा कर बगल के बगीचे में ले गया.जहां से एक तो किसी तरह बलात्कारियों के चंगुल से भाग गयी, जबकि दूसरी को दरिंदों ने अपनी हवस का शिकार बना उसे कई गहरे जख्म दे डाले.दरिंदों ने बर्बरतापूर्ण तरीके से न सिर्फ 12 वर्षीया मासूम की आबरू के चीथड़े-चीथड़े कर डाले बल्कि उसके कोमल बदन पर कभी न भरने वाले जख्म की ऐसी निशानी छोड़ दी,जो ता-उम्र नासूर बन कर उसकी जिन्दगी में रिसती रहेगी.बदन पर कई जगहों पर गहरे जख्म हैं.नीचे के होंठ पूरी तरह काट दिए गए हैं.होठों के कटे टुकड़े हैवानियत की सारी कहानी बता रहे हैं. इस मामले में मधवापुर पुलिस ने काफी तत्तपरता दिखाते हुए एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. इस गैंगरेप ने जहां एक ओर दिल्ली की 'निर्भया' की यादें ताजा कर दीं. वहीं लड़कियों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं.आखिर,कैसे बचेगी बेटी और कैसे बचेगी उसकी आबरू? इसका जवाब पूरे देश की बेटी मांग रही है. एक आरोपी को पुलिस ने फौरन गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.आरोपी ने अपना गुनाह भी कबूल कर लिया है. जख्मी हालत में मासूम पीड़िता को अस्पताल में भर्ती कराया गया है.जहां मौत से तो जंग जीत गयी पर बड़ा सवाल यह है कि जिस्म के इन भेड़ियों से यहां की "निर्भया'' आखिर कब तक जंग लड़ती रहेगी?
---दीपक कुमार---
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