नीतीश कुमार के निचले स्तर के जवाब ने बिहार की सियासत में तब उबाल ला दिया, जब उपेंद्र कुशवाहा ने अपने को नीच कहे जाने पर नीतीश से सवाल पूछा. जाहिर है कि इससे बिहार का कुशवाहा समाज भी उबला. सड़कों पर उतरा और नीतीश की पुलिस ने उन पर बेतरह लाठियां भांजीं. उपेंद्र कुशवाहा ने मुजफ्फरपुर में पार्टी के ‘हल्ला बोल-दरवाजा खोल’ सम्मेलन में नीतीश कुमार से पूछा कि नीतीश कुमार जी मुझे ‘नीच’ कहते हैं. मैं इस मंच से बड़े भाई नीतीश कुमार से पूछना चाहता हूं कि उपेंद्र कुशवाहा इसलिए ‘नीच’ है क्योंकि वह दलित, पिछड़ा और गरीब नौजवानों को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाना चाहता है. कुशवाहा ने सवाल उठाया कि हम पिछड़े, अति पिछड़े और अल्पसंख्यकों की बातों और उनके हितों को उठाते हैं इसलिए ‘नीच’ हैं. सामाजिक न्याय की बात करते हैं इसलिए उपेंद्र कुशवाहा ‘नीच’ है. गरीब घर के बच्चे कैसे पढ़ें, इसके लिए अभियान चलाते हैं तो क्या उपेंद्र कुशवाहा इसके लिए ‘नीच’ है.' उन्होंने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा सम्मान के लिए राजनीति करता है. उपेंद्र कुशवाहा जनता के लिए राजनीति करता है.
बिहार में चल रही इस ‘नीच’ राजनीति में उपेंद्र कुशवाहा को अपने पुराने साथी और पार्टी के निलंबित सांसद अरुण कुमार का साथ मिला. इसे नए सियासी नजरिए से भी देखा जा रहा है. इस शब्द को लेकर बिहार के जहानाबाद से सांसद अरुण कुमार भी एक बार फिर से सुर्खियों में हैं. उपेंद्र कुशवाहा का साथ देते हुए उन्होंने नीतीश कुमार की जमकर आलोचना की. उन्होंने नीतीश को अहंकारी कहा और कहा कि नीतीश जी सबकुछ पेट में रखकर लोगों को चपेट लेते हैं. जब उन्होंने लालू को नहीं छोड़ा तो फिर उपेंद्र कुशवाहा क्या चीज हैं. नीतीश कुमार सिद्धांतों का केवल लबादा ओढ़े रखते हैं. उपेंद्र कुशवाहा का पक्ष लेते हुए सांसद अरुण कुमार ने कहा है कि नीतीश कुमार ने अपनी गलत मानसिकता का परिचय दिया है और किसी को ‘नीच’ कहना बिहारी अस्मिता को ठेस पहुंचाना है. हालांकि इस पर सियासत अभी जारी रहेगी और सीटों को लेकर घमासान भी रहेगा. लेकिन सच यह भी है कि सियासत के केंद्र में अभी रालोसपा है. रालोसपा की सियासत आने वाले दिनों में कौन सी करवट लेती है, यह तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन बिहार की सियासत में उपेंद्र कुशवाहा अपनी साफ छवि की वजह से जाने जाते हैं न कि सृजन घोटाले और मुजफ्फरपुर बालिका गृह जैसे संगीन आपाराधिक मामलों में आरिपियों को बचाने की वजह से. नीतीश और उनके बयान बहादुर लाख सुशासन का गीत गाएं लेकिन सच यह है कि बिहार में नीतीश कुमार तो हैं लेकिन बहार नहीं है. आने वाले लोकसभा चुनाव में नीतीश का भ्रम टूटेगा और भाजपा का भी और चुनाव बहुत दूर नहीं है. बस आप लोगों को ही तय करना है शोषितों दलितों पिछड़े तबके के लोगों का हितैषी कौन है समान शिक्षा के लिए सरकार में रहते हुए भी जिन्होंने शिक्षा में सुधार करेंगे करके रहेंगे जैसे आंदोलन चलाया है ताकि सब को शिक्षा मिल सके
लेखक आनन्द सम्राट कुशवाहा युवा रालोसपा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं
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