दिल्ली.एकता परिषद के संस्थापक हैं राजगोपाल पी.व्ही.70 साल का राजगोपाल जी मुट्ठी बांधकर जेनेवा 2020 में जाने का आह्वान कर रहे हैं.
गांधी,विनोबा, जयप्रकाश के मार्ग पर चलकर अंहिसात्मक ढंग से जल,जंगल और जमीन आंदोलनों को सफल मुकाम तक पहुंचाने वाले शख्स का नाम है राजगोपाल पी.व्ही। मूलरूप से केरल के निवासी हैं राजगोपाल उर्फ राजाजी।राजाजी का कार्यक्षेत्र है मध्यप्रदेश।उनका इस प्रदेश से बेहद लगाव है. लोकनायक जयप्रकाश, युवातुर्क नेता एस.एन.सुब्बा राव और गांधीवादी चिंतक राजगोपाल पी.व्ही.मिलकर चंबल घाटी के 565 दस्युओं को अंहिसात्मक पाठ पढ़ाकर आत्म समर्पण कराने का सफल हुए । उन दस्युओं में से एक बहादुर सिंह वफादार शिष्य बनकर जगह-जगह साथ-साथ में चलकर 'बंदुक नहीं कुदाल चाहिए, हर हाथ को काम चाहिए ' का नारा बुलंद करते देखे जाते हैं. तीनों पदयात्रा में शामिल रहे।इंजीनियर और वकील राजगोपाल पी.व्ही.उर्फ राजाजी ने जल, जंगल, जमीन से उत्पन्न हिंसात्मक आंदोलनों को अंहिसात्मक आंदोलन में परिणत करने का प्रयोग किए। गैर सरकारी संस्थाओं को एकजुट करने लगे। उन संस्थाओं को जन संगठन एकता परिषद के अम्ब्रेला में ले आए। इन गैर सरकारी संस्थाओं में हिंसात्मक सोच रखने वाले कार्यकर्ताओं की सोच को प्रशिक्षणों के माध्यम से बदलने में कामयाब हो सकें। उनके बदौलत 2007 में जनादेश 2007 ,2012 जन सत्याग्रह 2012 और 2018 में जनांदोलन 2018 पदयात्रा सत्याग्रह की गयी। ग्वालियर से सत्याग्रह शुरू हुआ। ऐतिहासिक तीनों पदयात्रा सत्याग्रह के महानायक राजाजी थे।एक बार फिर 2020 में "मार्च फॉर जस्टिस एंड पीस" पदयात्रा सत्याग्रह की तैयारी में लगे हुए हैं। अब की बार नई दिल्ली से जेनेवा तक पदयात्रा उद्घोषित है। वह भी कुल दूरी 9,500 किलोमीटर की है। राजगोपाल पी.व्ही कहते हैं कि अगला साल 2 अक्टूबर,2019 से पदयात्रा नई दिल्ली से लंबी यात्रा शुरू करने की योजना बना रहे हैं।यह तारीख महात्मा गांधी का 150 वां जन्मदिन है, जिसे राजगोपाल ने कहा कि "भारत दुनिया भर में संघर्षों की तीव्रता की पृष्ठभूमि के खिलाफ" बड़े पैमाने पर मना रहा है "।इसका उद्देश्य दुनिया भर में संघर्षों की बढ़ती संख्या और प्राकृतिक संसाधनों को कम करने के बीच संबंधों पर अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करना है।"यदि गरीब लोगों से जमीन, जंगल और पानी हटाए जाते हैं, तो इससे समाज में अशांति हो जाएगी, कि अशांति संघर्ष का कारण बन जाएगी और संघर्ष बड़े पैमाने पर हिंसा में विकसित हो सकता है।""ऐसी दुनिया में जहां संघर्ष बढ़ रहा है, शांति बहुत मांग में है, इसलिए हमने सोचा कि शायद हम दुनिया भर में शांति निर्माण के विचार की पेशकश कर सकते हैं।"
राजगोपाल ने स्वीकार किया कि आगे कई चुनौतियां थीं।
भारत में भूमिहीन किसानों के अधिकारों के लिए 70 वर्षीय इंजीनियर और वकील ने कहा कि हमलोगों का यह विचार है कि जेनेवा की राजधानी स्विस "शांति शहर" में पाकिस्तान, ईरान और तुर्की को पार कर पहुंचना है। उन्होंने स्वीकार करते हुए कहा कि वॉकर के लिए अपने रास्ते में कुछ देशों के लिए वीजा प्राप्त करने में समस्याएं हो सकती हैं, और वे मुंबई से ग्रीस तक नाव लेना चुन सकते हैं, और वहां से चलना जारी रख सकते हैं। इसमें दलाई लामा और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी शामिल करने की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब से अगले साल अक्टूबर तक, संगठनों और शहरों से समर्थन लेने के लिए दुनिया भर में यात्रा करने की योजना बनाई है, उम्मीद है कि दुनिया के अन्य कोनों से हजारों वॉकर भी जेनेवा की ओर एक ट्रेक पर उतर जाएंगे। एक बार वे जेनेवा पहुंचने के बाद, वॉकर शहर में शांति और अहिंसा पर चर्चा के एक हफ्ते आयोजित करने की योजना बनाते हैं। यह संभव है कि भूदान आंदोलन के प्राणेता आचार्य विनोबा भावे के जन्म दिन 11 सितंबर से 25 सितंबर के बीच से हो। 25 सितंबर 2020 में जेनेवा में जल,जंगल और जमीन से जुड़े मुद्दे को लेकर प्रदर्शन प्रस्तावित।
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