जम्मू, 22 नवंबर, जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि ‘‘बड़े पैमाने पर खरीद-फरोख्त’’ चल रही थी और ‘‘विरोधी राजनीतिक विचारधाराओं’’ वाले दलों के लिए स्थिर सरकार बनाना असंभव होता। मलिक ने कहा कि उन्होंने राज्य के हित और इसके संविधान के अनुरूप यह फैसला लिया। उन्होंने इन आरोपों को खारिज किया कि वह केन्द्र के निर्देशों पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता तो उन्हें (भाजपा, पीपुल्स कांफ्रेंस) सरकार बनाने के लिए बुलाया जाता। राज्यपाल ने कहा कि जो अदालत जाना चाहते हैं, वे जा सकते हैं। मलिक ने यहां राजभवन में संवाददाताओं से कहा, ‘‘पिछले 15 से 20 दिन में, मुझे बड़े पैमाने पर खरीद-फरोख्त की खबरें मिलती रही हैं। विधायकों को धमकाया जा रहा है और पर्दे के पीछे से कई तरह के सौदे चल रहे हैं।’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘महबूबा (मुफ्ती) जी ने एक सप्ताह पहले मुझसे कहा कि उनके विधायकों को एनआईए के जरिये धमकाया जा रहा है। एक अन्य पक्ष ने कहा कि विधायकों को भारी धन देकर लुभाया जा रहा है। खरीद-फरोख्त 20 दिन पहले शुरू हुई थी।’’ राज्यपाल ने कहा, ‘‘अगर मैंने किसी पक्ष को (सरकार बनाने का) अवसर दिया होता तो यह और दिक्कतें पैदा करता। राजनीति की मूल्य व्यवस्था को नुकसान पहुंचता जैसा कि बाकी राज्यों में देखा जा रहा है। मैं ऐसा नहीं होने दे सकता था।’’
उन्होंने कहा कि ‘‘विरोधी राजनीतिक विचारधाराओं’’ वाले दलों के लिए स्थिर सरकार बनाना असंभव होता। मलिक ने कहा, ‘‘अगर (राज्य में) अस्थिर सरकार बनती तो यह स्थिति बदल जाती। एक अवसरवादी सरकार इस प्रक्रिया का नतीजा होती। हम एक संवेदनशील राज्य में अस्थिरता कभी नहीं चाहते।’’ उन्होंने कहा कि नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस के बीच टकराव होता और इससे दिक्कतें पैदा होतीं। मलिक ने कहा कि राज्य में आज जो स्थिरता है वह सैन्य बलों की मेहनत के कारण है। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा कोई निजी हित नहीं है और मेरे लिए राज्य का हित सर्वोपरि है। इसके लिए, मैंने जम्मू कश्मीर के संविधान के अनुसार कदम उठाया और विधानसभा भंग की। यह मेरी बुद्धिमत्ता के अनुसार सर्वश्रेष्ठ कदम था और मैंने भेदभाव नहीं किया है।‘’ राज्यपाल ने कहा कि जब वह राज्य में आए थे तो उन्होंने यह रुख स्पष्ट किया था कि वह पर्दे के पीछे से किसी सौदे या दल-बदल में संलिप्त नहीं होंगे और धमकियों के आधार पर सरकार का गठन नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि चुनाव हों और निर्वाचित सरकार बने। उन्होंने इस दावे को लेकर पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस पर निशाना साधा कि उन्होंने राज्यपाल से कहा था कि उनके पास बहुमत है जबकि उन्हें इसके कोई सबूत नहीं दिये गये। मलिक ने कहा कि कोई सूची नहीं दी गई और विधायकों की कोई परेड नहीं हुई।
उन्होंने दावा किया कि सरकार बनाने का प्रयास उन शक्तियों का था जो राज्य में चुनाव नहीं चाहतीं। राज्यपाल ने कहा कि उन्हें अब खुश होना चाहिए कि विधानसभा भंग हो चुकी है और वे यही चाहते थे। मलिक ने कहा कि चुनाव आयोग विधानसभा चुनावों पर फैसला करेगा। राजभवन में फैक्स मशीन के काम नहीं करने को लेकर उन्होंने कहा कि बुधवार को ईद थी। सरकार बनाने का दावा पेश करने के पीडीपी के पत्र के साथ ही नेशनल कॉन्फ्रेंस का समर्थन पत्र राज्यपाल के कार्यालय को प्राप्त नहीं होने के पीछे फैक्स नहीं मिलना वजह बताई गई थी। उन्होंने कहा कि नेकां के उमर अब्दुल्ला और पीडीपी की महबूबा मुफ्ती दोनों को यह पता होना चाहिए कि उस दिन कार्यालय बंद रहते हैं। राज्यपाल ने बुधवार की रात अचानक राज्य विधानसभा भंग कर दी थी। इससे कुछ ही घंटे पहले पीडीपी ने नेकां और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया था। पीडीपी के दावे के बाद दो सदस्यीय पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने भी भाजपा और अन्य पार्टियों के 18 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा किया था।
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