25 नवंबर को महिला हिंसा को समाप्त करने के लिये अन्तर्राष्ट्रीय दिवस के उपलक्ष्य पर, सरकारी सेवायें प्रदान कर रहे श्रमिक यूनियनों ने एक अभियान को आरंभ किया जिसकी मुख्य मांग है: घरेलू हिंसा से प्रताड़ित महिला को वेतनभोगी अवकाश मिले जो उसको न्याय दिलवाने में सहायक होगा. स्वास्थ्य को वोट अभियान और आशा परिवार से जुड़ीं महिला अधिकार कार्यकर्ता शोभा शुक्ला ने कहा कि हिंसा और हर प्रकार के शोषण को समाप्त करने के लिए, श्रम कानून और नीतियों में जो बदलाव ज़रूरी हैं, उनमें यह मांग शामिल है.
पब्लिक सर्विसेज इंटरनेशनल की क्षेत्रीय सचिव केट लयपिन ने कहा कि वैश्विक स्तर पर #metoo ‘मीटू’ अभियान से, विशेषकर कि उच्च उद्योग में, यौन हिंसा के मुद्दे उजागर हुए हैं, परन्तु रोज़गार देने वालों की भूमिका और श्रम कानून में जो बदलाव होने चाहिए जिससे कि कार्यस्थल महिलाओं के लिए सुरक्षित हो, उनको उतना ध्यान नहीं मिला. यदि कार्यस्थल पर प्रभावकारी नीतियां लागू हों और श्रम कानून मज़बूत हो तो कार्यस्थल पर शोषण पर भी रोग लगेगी और प्रताड़ित महिलाओं को सहायता भी मिलेगी. घरेलू हिंसा से प्रताड़ित महिलाओं को यदि वेतनभोगी अवकाश मिलेगा तो वह बिना नौकरी खोने के डर के ज़रूरी कार्यों पर ध्यान दे पाएंगी जैसे कि कानूनी और चिकित्सकीय मदद लेना, रहने की व्यवस्था करना, नया बैंक खाता खुलवाना आदि. यदि हिंसा और शोषण के क्रमिक चक्र को तोड़ना है तो यह ज़रूरी है कि सभी ज़रूरी मदद के साथ-साथ, प्रताड़ित महिला को वेतनभोगी अवकाश भी मिले.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, विश्व में हर 3 में से 1 महिला को किसी-न-किसी प्रकार की हिंसा का सामना करना पड़ता है. ऑस्ट्रेलिया में हिंसक रिश्ते से निजात पाने में महिला को डॉलर 18,000 का आर्थिक खर्च और 141 घंटे का औसतन समय लगाना पड़ता है. न्यू जीलैंड दुनिया का दूसरा देश है जहाँ इस साल से घरेलू हिंसा से पीड़ित महिला को वेतनभोगी अवकाश मिलेगा. फिलिपीन्स ने यह अधिकार 14 साल पहले प्रदान किया था जब उसने 2004 में महिलाओं और बच्चों पर हिंसा के खिलाफ अधिनियम पारित किया था.
वेतनभोगी अवकाश का प्रावधान इंटरनेशनल लेबर आर्गेनाइजेशन (आईएलओ) के एक मौसौदे में भी शामिल है (कार्यस्थल पर महिलाओं और पुरुषों के खिलाफ हिंसा और शोषण पर आईएलओ कन्वेंशन और सुझाव). यूनियन का मानना है कि वेतनभोगी अवकाश के प्रावधान को पारित करना चाहिए परन्तु उन्हें भय है कि कुछ सरकारें और रोज़गार देने वालों के प्रतिनिधि इसको कमज़ोर बना सकते हैं. पब्लिक सर्विसेज लेबर स्वतंत्र कॉन्फ़ेडरेशन की महासचिव एनी एन्रिकेज़ गेरोन ने कहा कि यह अविश्वसनीय लगता है कि कुछ सरकारें और रोज़गार देने वाले प्रतिनिधि हिंसा और शोषण को रोकने के लिए पूरा प्रयास करने से कतरा रहे हैं. हम लोगों को शंका है कि वेतनभोगी अवकाश जैसे ज़रूरी प्रावधान को आईएलओ के मौसौदे में कमज़ोर बनाया जा सकता है. हम सबका प्रयास रहेगा कि हिंसा और शोषण पर पूर्ण अंकुश लगाने के लिए ज़रूरी सभी कदम उठाये जाएँ.
#hearmetoo #हिअर-मी-टू
पब्लिक सर्विसेज इंटरनेशनल ने 25 नवम्बर को घरेलू हिंसा को समाप्त करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर #हिअर-मी-टू पर केन्द्रित अभियान टूलकिट भी ज़ारी की है जिससे कि घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं को ज़रूरी मदद के साथ-साथ वेतनभोगी अवकाश भी मिले.
शोभा शुक्ला, सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस)
(शोभा शुक्ला स्वास्थ्य और महिला अधिकार मुद्दों पर निरंतर लिखती रही हैं और सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस) की प्रधान संपादिका हैं.
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