बिहार : सबसे अधिक पांच आर.टी.आई एक्टिविस्टों की हत्या 2018 में - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 30 दिसंबर 2018

बिहार : सबसे अधिक पांच आर.टी.आई एक्टिविस्टों की हत्या 2018 में

सुशासन की सरकार के नाम से विख्यात बिहार सरकार से एक्टिविस्टों की पूर्ण सुरक्षा देने की मांगसूबे के 14 जिले से 15 से अधिक आर.टी.आई. एक्टिविस्टों की हुई हत्या से सरकार गमगीन नहींत्वरित न्याय - विचारण का प्रबंध करने पर जोर
RTI-activist-murder-bihar-2018
बक्सर,30 दिसम्बर। केंद्र सरकार ने आर.टी.आई. यानी राइट टू इनफोरमेसन का अधिकार दिया है.इसके अंतर्गत नागरिक सूचना के अधिकार अधिनियम द्वारा  सूचना प्राप्त कर सके. यह एक हथियार की तरह अधिकार है.इस हथियार रूपी अधिकार का प्रयोग कर अनियमितताओं का पर्दाफाश करनेवाले एक्टिविस्टों की हत्या कर दी जारी है.इस ओर केंद्र और राज्य सरकार मौन है.

हत्याओं का दौर जारी:
विगत वर्षों में 15 या उससे अधिक सूचना आवेदकों और कार्यकर्त्ताओं की जघन्य हत्या की जा चुकी है. निराशाजनक बात यह है कि इन सभी मामलों में बार-बार पुलिस का ध्यान आकृष्ट कराने के बावजूद ससमय सही अनुसंधान, अभियुक्तों की गिरफ्तारी और त्वरित न्याय-विचारण (स्पीडी ट्रायल) का प्रबंध नहीं किया जा सका है. ऐसे हत्याओं की सूची निम्नवत है:

1. शशिधर मिश्रा, जिला- बेगुसराय,  2010 में 
2. रामविलास सिंह, जिला- लखीसराय, 2011
3. डॉ. मुरलीधर जायसवाल, जिला- मुंगेर, 2012
4. राहुल कुमार, जिला- मुजफ्फरपुर, 2012
5. राजेश यादव,पीरपैंती, जिला- भागलपुर, 2012
6. रामकुमार ठाकुर (अधिवक्ता), जिला- मुजफ्फरपुर, 2013
7. सुरेन्द्र शर्मा, जिला- पटना, 2015
8. गोपाल प्रसाद (पूर्व सैनिक), जिला- बक्सर, 2015
9. गोपाल तिवारी, जिला- गोपालगंज, 2016
10. मृत्युंजय सिंह, जगदीशपुर, जिला- भोजपुर, 2017
11. राहुल झा, जिला- सहरसा, 2018
12. जयंत कुमार, गोरौल, जिला- वैशाली, 2018
13. राजेन्द्र प्रसाद सिंह, संग्रामपुर, जिला- मोतिहारी (पूर्वी चंपारण), 2018
14. बाल्मिकी यादव और धर्मेन्द्र यादव, ग्राम- बिछवे, थाना- सिकंदरा, जिला- जमुई, 2018
15. भोला शाह, ग्राम- बन्नरझोप, थाना- फुल्लीडूमर, जिला- बाँका, 2018.

नागरिक अधिकार मंच के संयोजक शिव प्रकाश यादव ने सरकार से माँग है कि उपरोक्त मामलों का त्वरित न्याय -विचारण (स्पीडी ट्रायल)  कराकर दोषियों को कानूनी रूप से दण्डित कराई जाए. गवाहों एवं परिजनों को सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए तथा आश्रितों को उचित मुआवजा दी जाए. ये ऐसे सिपाही रहे हैं जिन्होंने सिस्टम के करप्शन के विरुद्ध आवाज उठाने के क्रम में अपने प्राणों की भी आहुति दे दी.वक्त की मांग है कि  एक्टिविस्टों की जीवन बीमा सरकार करवाएं.बीमा राशि भी सरकार दें.

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