आंबेडकर का स्मरण आते ही हमारे जेहन में दो चीजें घर कर जाती है।उनमें पहला है संविधान व आरक्षण और दूसरा है नीला रंग जिसे तथाकथित आंबेडकरवादियों के द्वारा प्रतीक स्वरुप इस्तेमाल किया जा रहा है।उन्होंने अपना पूरा जीवन सामाजिक भेदभाव के विरुध संघर्ष में खपा दिया। जिस समय भारतीय समाज श्रमिको,किसानों,और महिलाओं के हितों का दमन कर रहा था।आंबेडकर इन सब के बीच आशा की किरण बनकर उभरे।और उस समय आंबेडकर ने श्रमिको,किसानों,और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। आज समकालीन राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में नीला रंग आंबेडकरवाद का प्रतीर चिन्ह बन चुका है।यह नीला रंग आंबेडकर का बेहद प्रिय रंग था।वह इस रंग को समानता का प्रतीक मानते थे।उनका मानना था कि आकाश का रंग भी नीला होता है और यह नीला रंग हमारे सोच की व्यापका को दर्शाता है।वह कभी वैचारिक संकीर्णता की राजनीति में नहीं फंसे।हमेशा अपनी सोच को प्रगतिशील रखा।उनके पूरे जीवनकाल का यही रंग था।आज के दौर में अशोकचक्र वाला नीला झंडा आंबेडकरवादियों का प्रतीक चिन्ह बन चुका है। यह अशोक चक्र उनके उनके प्रगतिशील सोच और समाज के प्रति उनकी दूर-दृष्टि को दिखाता है।आंबेडकर किसी भी समाज की प्रगति का मुल्यांकन करने का आधार महिलाओं की उस समाज में क्या स्थिती है?इस पैमाने को मानते थे।उनका मानना था कि दुनिया में आधी आबादी महिलाओं की है।दुनिया की कोई भी शक्ति इनके मुल अधिकारों से इन्हें वंचित नहीं कर सकती।इसलिए जब तक महिलाओं का समुचित विकास नहीं होता कोई भी समाज समुचित विकास नहीं कर सकता। आंबेडकर की विचारधारा से प्रभावित लोग एक दूसरे का अभिवादन जय भीम बोलकर करते हैं।इसका अर्थ है कि आंबेडकर की जय हो। आंबेडकर की विचारधारा की जय हो। उन्होंने समाज के दबे-कुचले,वंचितों-शोषितों को साफ संदेश दिया-शिक्षित बनो,संघटित हो और संघर्ष करो.....
--अविनाश झा--
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