सुरक्षित प्रसव करवाने वालों को 2017 से राशि भुगतान नहींलेखापाल प्रभात कुमार पर सर्वत्र शिकायत होने पर कार्रवाई नहीं होने पर आश्चर्य किसी मसीहा की तलाश में हैं निराश आशा
समेली,22 दिसम्बर। सुशासन बाबू के शासनकाल में पुत्रवधुओं (पुतौहू) का बुरा हाल है। बिहार में पुतौहू से आशा कार्यकर्ता बनकर समाज सेवा करने वाली आशा सरकार से निराश चल रही हैं। एक दिसम्बर से किचन रूम छोड़ झांसी की रानी की तरह मैदान में मोर्चाबंदी कर फतह करने के मूड में हैं।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, समेली:
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कार्यक्षेत्र में 86 आशा कार्यरत हैं। 4 उत्प्रेरक हैं। कार्यरत 86 आशा बहनों को वर्ष 2017 और 2018 में प्रोत्साहन राशि नहीं मिलने की खबर है। बावजूद,इसके आशा केवल आस में कार्यरत हैं कि इस अंधेरी रात की सुबह कब होगी? सुबह नहीं होने पर आशा कार्यकर्ता निराश हैं।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र,समेली के चिकित्सा पदाधिकारी के पास गुहार
गुहार पत्र में यह लिखा गया कि हमलोग नि:सहाय आशा हैं। कार्यरत 86 आशा कार्यकर्ता को प्रोत्साहन राशि नहीं रहा है। बावजूद,इसके जेबीएसवाई का फार्म 18 भर रहे हैं। होम विजिट रेगुलर करते हैं। वहीं जच्चा-बच्चा को देखन 7 दिन के बाद 21 दिन पर फिर 28 दिन पर अंत में 42 दिन पर विजिट करते हैं।इस दौरान कन्या उत्थान योजना और संपूर्ण टीकाकरण के बारे में जानकारी देते हैं और मां को प्रोत्साहित कर आंगनबाड़ी केंद्र में ले जाकर टीका दिलवाते हैं।आरआई की महिलाओं का बंध्याकरण और लेप्रोसी आर सी एच आदि कार्य कर रहे हैं।इन सब कार्य की राशि नहीं मिल रही है। चिकित्सा प्रभारी ने लेखापाल को आदेश दिया कि आशा कार्यकर्ताओं का वाउचर का अवलोकन कर पेमेंट करें। 3 माह 9 महीने के बाद भी सकारात्मक परिणाम नहीं आया।
लेखापाल पर मनमानी करने का आरोप:
एक आशा ने हिम्मत करके जिलाधिकारी, कटिहार के समक्ष 14.09.2018 को फरियाद पेश कर दी।कृत कार्यों का उल्लेखकर लेखापाल पर आरोप लगाया है कि मनमानी करते हैं और 6 से आश्वासन की घुट्टी पिला रहे हैं।यहां तक लेखापाल कह दिए कि 2017 की बकायी राशि नहीं मिलेगी।इस बाबत बीसीएम राजीव कुमार और हेल्थ मैंनेजर मिलकर राशि दिलवाने का प्रयास किया गया जो निर्थक साबित हो रहा है।डीएम,कटिहार के कार्यालय प्राप्ति सं.है 10448 । 3 माह 8 दिन के बाद भी परिणाम सामने नहीं है।
असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी :
सिविल सर्जन महोदय के कार्यालय में जाकर किरण भारती ने आपबीती बयान कर 86 आशा कार्यकर्ताओं की परेशानी पेश किया है। सिविल सर्जन कार्यालय के दिलीप ने आवेदन प्राप्त किया और बाजाप्ता कार्यालय की मुहर भी लगा दिया। आशा का प्रोत्साहन राशि जेबीएसवाई, बंध्याकरण, लेप्रोसी, आरसीएच, टीकाकरण,होम विजिट, कालाजार,ट्रेनिंग,टीबी,फलेरिया और सर्वे करने की राशि नहीं मिल रही है। यहां भी 3 माह 8 दिनों के बाद भी साकारात्मक कदम नहीं उठाया।
बिहार विधान परिषद के पार्षद अशोक कुमार अग्रवाल के दरवाजे पर:
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र,समेली के चिकित्सा प्रभारी, जिलाधिकारी, कटिहार,असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, कटिहार के पास गुहार लगाकर थकहार के अाशा कार्यकर्ता ने विधान पार्षद अशोक कुमार अग्रवाल के द्वार पर जाकर दस्तक दे दी।अपने पत्र में आशा कार्यकर्ता ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि दो हजार रूपए लेने के बाद भी लेखापाल प्रभात कुमार प्रोत्साहन राशि भुगतान नहीं कर रहा है।2017 और 2018 का बकाया है।बता देने कि विधान पार्षद की चिट्ठी का असर सुगबुहाट तक ही सीमित रही।
2017 से जच्चा-बच्चा को मिलने वाली राशि बंद:
इतना होने के बाद भी राशि भुगतान नहीं होने पर 86 आशा कार्यकर्ता किसी मसीहा की तलाश में है जो लेखापाल प्रभात कुमार की मनमानी और काम के बदले दाम वसूलने वाले से मुक्ति दिला सके।बता दे कि सुरक्षित प्रसव केंद्र में करवाने से जच्चा-बच्चा को 1400 रूपए और आशा कार्यकर्ता को 600 रूपए मिलता है। इसमें प्रति प्रसव 50 रूपए लेखापाल प्रभात कुमार डकार लेता है।जच्चा-बच्चा को लगातार होम विजिट कर जेबीएसवाई का 18 फार्म भरने से आशा कार्यकर्ता को 250 रूपए मिलता है। इसमें 50 रूपए की सेंधमारी बीसीएम मार देते हैं। इस राशि को हासिल करवाने का दायित्व उत्प्रेरक को है। जो चार हजार वेतन उठाती हैं। वही आशा कार्यकर्ताओं पर दबाव डालती हैं।
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