अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट चार जनवरी को करेगा सुनवाई - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

  
प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

मंगलवार, 25 दिसंबर 2018

demo-image

अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट चार जनवरी को करेगा सुनवाई

24supreme-court
नयी दिल्ली 24 दिसंबर, उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में स्थित रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर चार जनवरी को सुनवाई की तिथि सोमवार को निर्धारित कर दी।  मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंड पीठ इस मामले में सुनवाई करेगी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर 14 याचिकाओं की एक साथ सुनवाई की जाएगी।  इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 30 सितंबर 2010 को 2.77 एकड़ जमीन को तीन पक्षों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में बराबर-बराबर बांटने का फैसला सुनाया था। इस फैसले के खिलाफ 14 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गईं। शीर्ष अदालत ने नौ मई 2011 को इलाहाबाद उच्च न्यायलय के इस फैसले पर रोक लगा दी थी। उच्चतम न्यायालय ने नवंबर में इस मामले से जुड़ी याचिकाओं पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया था। उसने कहा था इस मामले में जनवरी से सुनवाई शुरू करना तय किया जा चुका है। अभी न्यायालय की प्राथमिकता में और भी मामले हैं। दरअसल इनमें से एक याचिकाकर्ता अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने शीर्ष अदालत से मामले की जल्द सुनवाई का आग्रह किया था जिसे न्यायालय ने ठुकरा दिया था।  इससे पहले 19 अप्रैल, 2017 को, शीर्ष अदालत ने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी के नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती पर राजनीतिक रूप से संवेदनशील 1992 बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आपराधिक साजिश के गंभीर अपराध के लिए मुकदमा चलाया जाएगा। इस मामले में प्रत्येक दिन सुनवाई करने और दो साल के भीतर सुनवाई पूरी करने का भी आदेश दिया था। इस साल 27 सितंबर को शीर्ष अदालत ने अपने 1994 के फैसले पर पुनर्विचार करने से भी इनकार कर दिया कि मस्जिद इस्लाम के लिए अभिन्न नहीं थी। इस मामले को बाद में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेज दिया गया।

कोई टिप्पणी नहीं:

undefined

संपर्क फ़ॉर्म

नाम

ईमेल *

संदेश *