लखनऊ : विमोचन और सम्मान समारोह का आयोजन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 18 दिसंबर 2018

लखनऊ : विमोचन और सम्मान समारोह का आयोजन

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लखनऊ (आर्यावर्त संवाददाता)  वन अवध सेंटर मॉल (सिनेपोलिस), विभूति खण्ड, गोमती नगर में दिनांक 16 दिसम्बर 2018 को लोकोदय प्रकाशन द्वारा आयोजित एक समारोह में वरिष्ठ नवगीतकार मधुकर अष्ठाना को प्रथम स्व. जगदीश गौतम स्मृति सम्मान, युवा नवगीतकार सज्जन धर्मेन्द्र को लोकोदय नवलेखन सम्मान व प्रदीप कुशवाह को लोकोदय सम्मान से सम्मानित किया गया। ये सम्मान वरिष्ठ पत्रकार अजय सिंह, नाटककार राजेश कुमार, प्रदीप घोष, नीरज सिंह द्वारा प्रदान किए गए।   कार्यक्रम में मधुकर अष्ठाना द्वारा संपादित पुस्तक ‘नवगीत के विविध आयाम’, सज्जन धर्मेन्द्र के नवगीत संग्रह ‘नीम तले’, प्रदीप कुशवाह की नाट्य पुस्तिका ‘सुखिया’ तथा वरिष्ठ पत्रकार राजीव मित्तल व अनुपम वर्मा की पुस्तक ‘हमनवा’ के दूसरे संस्करण का विमोचन किया गया। विमोचित पुस्तकों पर इण्डिया इनसाइड के सम्पादक अरुण सिंह, डा. रामबहादुर मिश्र, रवीन्द्र प्रभात, संध्या सिंह, अन्नपूर्णा वाजपेयी, दिनेश प्रियमन, गोपाल गोयल आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। 

लोकोदय साहित्यिक संस्था व प्रकाशन द्वारा आयोजित इस समारोह के द्वितीय सत्र में ‘समकालीन साहित्य और आज के सवाल’ विषय पर एक परिचर्चा हुई। जिसमें बाँदा के चर्चित आलोचक उमाशंकर परमार ने कहा कि समकालीनता समयबद्ध अवधारणा नहीं है। धीरे-धीरे होने वाला साहित्य का विकास ही समकालीनता है। वरिष्ठ कवि डा.चन्द्रेश्वर ने विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि लेखन के सरोकार को छोड़कर जब हम दूसरे काम से प्रभावित होते हैं तो संकट खड़ा होता है। आरा (बिहार) से आये सिद्धार्थ वल्लभ ने कहा कि प्रगतिशील होना वामपंथी होना नहीं है। साहित्य में पाठकों का संकट भी नहीं है। दिल्ली के अरुण कुमार ने कहा कि प्रकाशकों ने हिन्दी साहित्य को अपने शिकंजे में जकड़ लिया है जो अब घातक हो गया है। सुल्तानपुर के युवा साहित्यकार ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह 'रवि' ने कहा कि समकालीन साहित्य में समकालीनता कितनी है और साहित्य कितना है इस पर विचार किये बिना कोई बात आगे नहीं बढ़ सकती। पाठक, बाजार और विचारधारा आज के साहित्य को प्रभावित कर रही है। परिचर्चा में डा. अनिल मिश्र, महेन्द्र भीष्म, अजीत प्रियदर्शी, श्याम श्रीवास्तव मधुकर अष्ठाना, गोपाल गोयल, राजीव मित्तल, किरण सिंह, अरुण सिंह, सज्जन धर्मेन्द्र, दिव्या शुक्ला, अनुपम वर्मा आदि ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन बृजेश नीरज ने किया। कार्यक्रम के तीसरे सत्र में मधुकर अष्ठाना, श्याम श्रीवास्तव, रामबहादुर मिसिर, राजेन्द्र शुक्ल राज, डॉ. अनिल मिश्र, अविनीश त्रिपाठी, संध्या सिंह, रामशंकर वर्मा, धीरज मिश्र, कृष्ण नन्दन मौर्य, रविशंकर मिश्र, अन्नपूर्णा बाजपेयी, आभा खरे, निशा सिंह आदि ने काव्य पाठ किया। सत्र का संचालन मनोज शुक्ल ‘मनुज ने किया। आगंतुकों का स्वागत सुरुचि सिंह ने तथा आभार ज्ञापन प्रकाशन की निदेशक नीरज सिंह ने किया।

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