दरभंगा : भ्रष्टाचार के कारण निचले स्तर तक लाभ नहीं पहुंचता : राज्य सूचना आयुक्त - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 1 दिसंबर 2018

दरभंगा : भ्रष्टाचार के कारण निचले स्तर तक लाभ नहीं पहुंचता : राज्य सूचना आयुक्त

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दरभंगा : राज्य सूचना आयुक्त ओमप्रकाश ने कहा कि सरकार लोगों के लिए योजनाएं बनाती हैं लेकिन भ्रष्टाचार के कारण निचले स्तर तक इसका लाभ नहीं पहुंचता। ऐसे में आम लोगों को सूचना का अधिकार दिया गया जिससे वे योजनाओं व कानून के क्रियान्वयन व अधिकारों के संरक्षण से जुड़ी सूचनाएं सीधे प्राप्त कर सकें। वे शनिवार को ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग के सभागार में सूचना का अधिकार विषयक सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। सूचना आयुक्त ने बताया कि हर कानून की तरह इसका भी दुरूपयोग होता है, लेकिन अधिनियम में इसके दुरूपयोग को रोकने का प्रावधान है जिसकी जानकारी सूचना प्रदान करने वालों को होनी चाहिए। सूचना की परिभाषा देते हुए बताया कि कोई भी चीज जो लिखित या डिजिटल या किसी रूप में मौजूद है, सूचना के तहत आच्छादित है। सूचनाओं के प्रकार की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि यह तीन तरह की होती है- एब्सोल्यूट, इंफार्मेशन, क्वालिफाइड इंफार्मेशन व एक्जम्प्टेड इंफार्मेशन। हर प्राधिकार को एक पीआइओ नियुक्त करना है। इसके अलावा सहायक पीआइओ की नियुक्ति भी होती है जो आवेदन लेने को अधिकृत है, सूचनाएं देने को नहीं। अगर पीआइओ यह बताता है कि प्राधिकार का कोई अधिकारी या कर्मी वांछित सूचनाएं देने में सहयोग नहीं कर रहा तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि सर्वाधिक दुरूपयोग व्यक्तिगत सूचनाओं के मामलों में देखा जाता है। यूके में व्यक्तिगत सूचनाओं को संबंधित व्यक्ति के इंकार करने पर जारी नहीं किया जा सकता। लेकिन, भारत में यदि संबंधित व्यक्ति इंकार के बावजूद यदि मांगी गई सूचना लोकहित से जुड़ी हो तो उसे जारी किया जा सकता है , बशर्ते की सूचना मांगने वाले को स्पष्ट करना होगा कि वह यह सूचनाएं किस मकसद से मांग रहा है। सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस के सिंह ने कहा कि कानून के लागू हुए 13 साल हो गए लेकिन आज भी इसको लेकर लोगों के मन में भ्रम व शंकाएं हैं। उन्होंने जल्द ही विवि के अधिकारियों व प्रधानाचार्यों के लिए सूचना का अधिकार पर कार्यशाला आयोजित करने की बात कही। उन्होंने सूचना के अधिकार पर पुस्तक लेखन के लिए पीआइओ प्रो. एन के अग्रवाल व दीपक कुमार को बधाई देते हुए कहा कि इससे लोगों के भ्रम व शंकाओं को दूर करने में मदद मिलेगी। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए रूसा के उपाध्यक्ष डॉ. कामेश्वर झा ने कहा कि संसद से कानून पारित होने के बाद सबसे पहले 2006 में बिहार में इसे लागू किया गया। उन्होंने बताया कि मिथिला विवि का वेबसाइट तो अपडेट है, लेकिन इसके 43 अंगीभूत कॉलेजों में से 39 के वेबसाइट अपडेट नहीं है, जिससे लोगों को सही सूचनाएं नहीं मिल रही। कई कॉलेजों के वेबसाइट पर अभी भी पांच साल पुरानी स्मारिका व प्रधानाचार्य के रूप में उनका ही नाम चल रहा है। उन्होंने कुलपति को इस दिशा में सार्थक कदम उठाने की मांग की। प्रोवीसी प्रो. जय गोपाल ने सूचना का अधिकार को लेकर अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करते हुए कहा भ्रष्टाचार हमारी संस्कृति में शामिल हो चुका है। इसे पूरी तरह खत्म तो नहीं किया जा सकता लेकिन सूचना का अधिकार से इसे काफी हद तक कम किया जा सकता है। सिंडिकेट सदस्य प्रो. विनोद कुमार चौधरी ने भी पुस्तक की सराहना करते हुए कहा कि कुलपति ने जो जिम्मेवारी प्रो. अग्रवाल को दी है वे उसे जरूर पूरा करेंगे। धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय ने किया। इससे पूर्व लोक सूचना पदाधिकारी डॉ. एनके अग्रवाल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए सूचना का अधिकार पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस अवसर पर पीआइओ प्रो. एन के अग्रवाल व डॉ नीरज कुमार लिखित पुस्तक सूचना का अधिकार : एक परिदृश्य का विमोचन किया गया। अतिथियों ने हिंदी में पुस्तक प्रकाशित करने के लिए लेखकों के प्रति आभार जताते हुए कहा कि इससे इस विषय में लोगों को काफी जानकारियां मिलेंगी और वे इसे ठीक से समझ सकेंगे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. पुतुल सिंह ने किया। कार्यक्रम में विवि के कई अधिकारी, प्रधानाचार्य व छात्र-छात्राएं मौजूद थे। इससे पूर्व अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर सेमिनार का विधिवत उद्घाटन किया। कॉमर्स विभाग की छात्राओं ने स्वागत गीत गाए। अतिथियों को मिथिला की परंपरा के अनुसार पाग-चादर से सम्मानित किया गया।

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