नई दिल्ली, 17 दिसम्बर, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए फ्रांस की दसॉ एविएशन के साथ हुए सौदे की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की सोमवार को मांग की। इस 59 हजार करोड़ रुपये के सौदे को 'महा घोटाला' करार देते हुए माकपा ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार 'आधा सच और आधा झूठ' के पीछे छिपने का प्रयास कर रही है। पार्टी ने 10 बिंदु आगे रखे हैं, जिनकी जांच कराने की जरूरत बताई गई है। माकपा ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी ने 10 अप्रैल, 2015 को 36 विमानों के सौदे की घोषणा कर दी थी, जबकि रक्षामंत्री की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने यह बात 13 मई, 2015 को स्वीकारी थी कि भारतीय वायुसेना को 36 राफेल विमानों की जरूरत है।" पार्टी ने कहा, "प्रधानमंत्री की घोषणा से पहले वायुसेना और रक्षा मंत्रालय से 36 विमानों की खरीद को लेकर कोई औपचारिक संपर्क नहीं हुआ था। वायुसेना को 36 राफेल विमानों की जरूरत है, सरकार के ये स्वीकारने से पहले फैसले की घोषणा कैसे कर दी गई।" पार्टी ने यह भी जानना चाहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को किन हालात में 12-13 जनवरी, 2016 को पेरिस में सौदे की बातचीत वाले दल का हिस्सा बनाया गया और क्यों सरकार ने बिना बैंक गारंटी के सौदे पर हस्ताक्षर किए। माकपा ने कहा, "2011 में राफेल के साथ मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) परीक्षण में योग्य पाए गए यूरोफाइटर पर भारत को इसकी बोली मूल्य से 20 फीसदी की छूट दी गई थी। क्यों भारत ने राफेल के लिए भी समान छूट और इसके बजाए यूरोफाइटर के लिए जाने के विकल्प पर जोर नहीं दिया।" पार्टी ने कहा कि राफेल सौदे के बारे में भारतीय बातचीत दल के तीन सदस्यों द्वारा बार-बार आपत्ति को भी प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने खारिज कर दिया था, जिन्हें पारदर्शिता के लिए सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
मंगलवार, 18 दिसंबर 2018
माकपा ने 36 राफेल विमान सौदे में जेपीसी जांच की मांग की
Tags
# देश
# राजनीति
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
राजनीति
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Author Details
सम्पादकीय डेस्क --- खबर के लिये ईमेल -- editor@liveaaryaavart.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें