बिहार : नीतीश से आवासीय भूमि अधिकार कानून बनाने की मांग - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 26 दिसंबर 2018

बिहार : नीतीश से आवासीय भूमि अधिकार कानून बनाने की मांग

‘वनाधिकार कानून-2006 और पंचायत विस्तार उपबन्ध अधिनियम-1996 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए प्रांतीय स्तर पर निगरानी तंत्र की स्थापना और भूमि सुधार संबंधी विवादों के शीघ्र समाधान के लिए त्वरित न्यायालय गठित हो ‘
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पटना,27 दिसम्बर। आजादी के सात दशक के बाद भी काफी संख्या में है आवासीय और खेतीहर भूमिहीन। इसमें महादलित मुसहर समुदाय की संख्या अधिक हैं। सूबे की सरकार की चाहत है कि आवासीय और खेतिहर भूमिहीन परिवारों को जमीन दें। मगर मनमौजी नौकरशाहों के चलते ही सरकार की चाहत पूर्ण नहीं हो पा रही है। इनके नकारात्मक रवैया के कारण लोग सड़क, आहर-पइन,नहर,मुर्दाघट्टी के किनारे किसी तरह से झोपड़ी बनाकर रहने को बाध्य हैं।

मालिक गैरमजरूआ एवं आम गैरमजरूआ जमीन पर रहते हैंः  दो-तीन पुश्त से मालिक गैरमजरूआ एवं आम गैरमजरूआ भूमि पर महादलित मुसहर समुदाय के लोग रहते आ रहे हैं। सरकार के द्वारा ऐसे लोगों को वास भूमि का पर्चा/परवाना नहीं निर्गत करने से मौका मिलते ही सड़क चैाड़ीकरण के नाम पर अथवा अन्य कार्य का बयान देकर उजार दिया जाता हैं। जानकारी के अनुसार अगर किसी को वास भूमि का पर्चा मिला है। तो दुर्भाग्य से सरकार के दरबारी रिकाॅड में नामोल्लेख नहीं है। अगर सरकार के द्वारा वास भूमि के लिए पर्चा /परवाना दे भी दिया गया है। कई गांवों में दस से बीस साल के बाद भी पर्चाधारियों का कब्जा नहीं है। ऐसे लोगों के द्वारा जन संगठन एकता परिषद,बिहार के कार्यालय में आकर आवेदन देते हैं और भूमि अधिकार दिलवाने की मांग करते हैं। इस जन संगठन के द्वारा बारम्बार प्रखंड सह अंचल कार्यालय में जाकर आवेदन दिया जाता है। इनके अधिकार के लिए गांधी,विनोदा,जयप्रकाश आदि के पदचिन्हों पर चलकर अंहिसात्मक आंदोलन करते हैं। उन लोगों के द्वारा धरना-प्रदर्शन करने के बावजूद भी केवल नौकरशाहों के द्वारा आश्वासन ही दिया जाता है। इसके अलावे कुछ भी नहीं मिल पाता है। इस तरह के रवैये से आवासीय और खेतिहर भूमिहीन निराश और हताश हैं और तो और आक्रोशित भी हैं। 

इंदिरा आवास योजना से मकान बनाः कुछ नसीब वाले महादलित मुसहर समुदाय के लोग होते हैं जिनको मालिक गैरमजरूआ एवं आम गैरमजरूआ भूमि दिया गया है। इस भूमि पर ठीकेदारों के द्वारा 1980 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम और 1983 में गा्रमीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम से मकान बनाया गया है। इंदिरा आवास योजना से मकान बनया गया है। इन निर्मित मकानों के रखरखाव नहीं होने के कारण मकान जर्जर हो गया है। सामाजिक कार्यकर्ता हैं नरेश मांझी। उनका कहना है कि दानापुर में अनुमंडल में चार प्रखंड है। दानापुर, मनेर, बिहटा और नौबतपुर। दानापुर प्रखंड में करीब 35 मुसहरी है। दानापुर प्रखंड के कौथवा, शिवचक, उसरी, शिकारपुर, जमसौत, नरगद्दा, सिकंदरपुर, बबकरपुर, आसोपुर, बोम्बे बगीचा, चुलाईचक, जलालपुर, केला बगान, बाटा, नासरीगंज आदि जगहों पर जो जर्जर हो गया है। छत और दीवार गिर चुकी है। इन मकानों का जीर्णोंद्धार करने की जरूरत है। वर्ष 2019 और 2020 में चुनावी मुद्दा बनने की संभावना है। 

एकता परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रदीप प्रियदर्शीः एकता परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रदीप प्रियदर्शी ने कहा कि हमलोगों ने जन आंदोलन 2018 में ग्वालियर से मुरैना तक सत्याग्रह पदयात्रा किए हैं। वहां 6 सूत्री मांग को लेकर सत्याग्रह किए। राष्ट्रीय आवासीय भूमि अधिकार कानून की घोषणा एवं क्रियान्वयन,राष्ट्रीय कृषक हकदारी कानून की घोषणा एवं क्रियान्वयन, राष्ट्रीय भूमि नीति की घोषणा व क्रियान्वयन, भारत सरकार के द्वारा पूर्व में गठित राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद और भारत सरकार के द्वारा पूर्व में गठित राष्ट्रीय भूमि सुधार कार्यबल समिति को सक्रिय करना, वनाधिकार कानून-2006 और पंचायत विस्तार उपबन्ध अधिनियम-1996 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रीय व प्रांतीय स्तर पर निगरानी तंत्र की स्थापना और भूमि सुधार संबंधी विवादों के शीघ्र समाधान के लिए त्वरित न्यायालयों का संचालन हो। सूबे के मुख्यमंत्री नीतीष कुमार से आग्रह है कि यथाषीघ्र आवासीय भूमि अधिकार कानून की घोषणा कर क्रियान्वयन करें। वनाधिकार कानून-2006 और पंचायत विस्तार उपबन्ध अधिनियम-1996 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए व प्रांतीय स्तर पर निगरानी तंत्र की स्थापना और भूमि सुधार संबंधी विवादों के शीघ्र समाधान के लिए त्वरित न्यायालय गठित हो, कृषक हकदारी कानून की घोषणा एवं क्रियान्वयन, राष्ट्रीय भूमि नीति की घोषणा व क्रियान्वयन।

आलोक कुमार

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