पूर्व उप मुखिया दिनेष मुंडा केे पास विराजमान
कुर्सेला,29 दिसम्बर। अंग्रेजों के द्वारा अविभाजित झारखंड से लाए गए थे आदिवासी। आकर बसुहार मजदीया ग्राम पंचायत में बस गए। कुछ अंग्रेजों की खेती करने लगे और कुछ देवीपुर नील फैक्ट्री में कार्य करने लगे। दिन जाते जाते आदिवासियों ने पहचान बना ली और जहां पर रहते हैं। उसका नामकरण कर दिए। इस समय बसुहार मजदीया मुंडा टोला में 40 आदिवासी परिवार रहते हैं। तीन पुष्त से रहते आ रहे हैं। यहां की जनसंख्या 160 और वोटर 100 हैं। कोई 10 आदिवासी मैट्रिक और नाम 2 आई.ए. उत्र्तीण हैं। केवल जोएल टोप्पनो एम.ए. और सामुएल टोप्पनो बी.ए.उत्र्तीण हैं। दो सरकारी टीचर हैं। 30 घरों के लोग बकरी पालन करते हैं। 2 घर में गाय पालन होता है। इसमें उप मुखिया दिनेष मुंडा की गाय है। मोडिफाइड एरिया डेंवलपमेंट एप्रोच में मिला था। इसके अलावे सभी खेतिहर मजदूर हैं। रोजगार के लिए नौजवान पलायन कर जाते हैं।
बसुहार मजदीया मुंडा टोला के प्रथम व्यक्तिः बसुहार मजदीया मुंडा टोला के प्रथम व्यक्ति हैं दिनेष मुंडा जो बसुहार मजदीया ग्राम पंचायत के वार्ड सदस्य बने और उप मुखिया पद पर काबिज हुए। अभी पूर्व मुखिया हो गए हैं दिनेष मुंडा। इनके पिता का स्व.वीरो मुंडा और माता का नाम मुंगिया देवी है। इनके दो भाई और दो बहन हैं। भाई में दिनेष मुंडा व वकील मुंडा हैं। बहन में आषा मुंडा व उषा मुंडा हैं। केवल दिनेष मुंडा ही बी.ए.पास हैं और शेष साक्षर हैं। दिनेष मुंडा की पत्नी जयंती देवी हैं। दोनों के 4 लड़का और 2 लड़की है। एक दिव्यांग हैं। वह स्कूल जाता था। स्कूल की दूरी होने से जा नहीं सक रहा है। उसको तीनपहिया वाहन दिलवाने का प्रयास हो रहा है।
आदिवासियों को मिली है माडा से सरकारी सहायताः कुर्सेला और समेली प्रखंड में रहने वाले आदिवासियों को मिली है माडा से सरकारी सहायता। इस संदर्भ में पूर्व उप मुखिया दिनेष मुंडा कहते हैं कि 2007-2008 में हैं कि बसुहार मजदीया मुंडा टोला में रहने वाले 12 आदिवासियों को मोडिफाइड एरिया डेंवलपमेंट एप्रोच (माडा) से देषी गाय मिली थी। अच्छी नस्ल और ठगी नीति के कारण गाय मर गयी। केवल दिनेष मुंडा ही गाय सुरक्षित रखने में कामयाब हुआ है। इसी कामयाबी के बल पर कुर्सेला और समेली प्रखंड में रहने वाले आदिवासियों ने माडा के तहत रोजगार करने की इच्छा जाहिर की है। ये लोग भी अपनी पंसद से गाय, ख्ेात खलियान में इस्तेमाल करने वाली मषीन, सिलाई मषीन आदि माडा के तहत प्राप्त करना चाहते हैं।
जिनको नहीं मिली है सहायता माडा सेः कुर्सेला और समेली में रहने वाले आदिवासियों को जिनको माडा से सहायता नहीं मिली है। ऐसे लोग इंडो ग्लोबल सोषल सर्विस सोसाइटी के साॅल थ्री के सहयोग से कार्यरत प्रगति ग्रामीण विकास समिति के सदस्यों से सहयोग लेना शुरू कर दिये हैं। ऐसे लोगों को कुर्सेला के प्रखंड समन्वयक प्रदीप कुमार और समेली प्रखंड के समन्वयक राजकुमार आवेदन लिखने में सहायता कर रहे हैं। अगले साल 2019 में जिला कल्याण पदाधिकारी के समक्ष आवेदन देकर माडा से रोजगार हेतु सहायता सुनिष्चित करने का प्रयास करेंगे।
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