रामगढ़ : संयुक्त बिहार में करीब पांच दशक व वर्तमान झारखंड बनने के बाद दो दशक तक कोयलांचल की धरती पर अपनी राजनीतिक रसूख व कद्दावर मजदूर नेता के तौर पर मशहूर स्व लखनलाल झा की आज जयंती है। मजदूरों के हक व हकूक की लड़ाई के लिए वे जीवन पर्यंत कोलियरी के पदाधिकारियों के खिलाफ आवाज उठाते रहे। यही कारण रहा कि उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत जहां मजदूरों के हक की लड़ाई से की तो जीवन के अंत समय भी वे मजदूरों के साथ ही बने रहे। बता दें कि 24 दिसंबर 2017 को वे छत्तीसगढ़ के सिंहरौली स्टेशन पर चार मजदूरों काे उनका हक दिलाकर वापस लौट रहे थे और इसी क्रम में उनकी मृत्यु हो गई। वे अक्सर कहते रहे लोग अपनी जिंदगी तो जीते हैं लेकिन सच्चा इंसान वही है जो दूसरों के लिए लड़े और जीये। मूल रूप से उनका कार्य क्षेत्र आरा कोलियरी, कुजू व सारूबेरा रहा और जीवन पर्यंत राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ (इंटक) के वरीय पद पर बने रहे। जब झारखंड राज्य का निर्माण नहीं हुआ था उस वक्त जगन्नाथ मिश्र की सरकार थी और 1989 में कांग्रेस पार्टी के पर्यवेक्षक के तौर पर उन्हें सहरसा भेजा गया था। जहां वे महीनों रहे और जनसेवा व राजनीतिक कार्यों में जुटे रहे। इससे पूर्व वे हजारीबाग के महामंत्री बनाए गए थे और लंबे समय तक वे कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे। हालांकि अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने पद को कभी तरजीह नहीं दी लेकिन मजदरों के हक की लड़ाई में वे अग्रणी भूमिका निभाते रहे। यही कारण है कि उन्हें कोलियरी में अलग राजनीतिक कद प्राप्त था। जो कि उनके जीवन के अंत समय तक बना रहा। इसके अलावे सामाजिक कार्यों में भी वे दिलचस्पी लेते रहे और कई गरीब कन्याओं की शादी हो या फिर अन्य कार्य अपनी उपस्थिति दर्ज जरूर कराते रहे। जिस कारण सामाजिक व राजनीतिक तौर पर वे अपने जीवन के अंत समय तक अद्वितीय बने रहे और समाज के हर तबके में उन्हें उचित मान सम्मान प्राप्त हुआ।
रविवार, 23 दिसंबर 2018
बिहार : जीवन के अंत समय तक मजदूरों की लड़ाई लड़ते रहे स्व लखन लाल झा
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