श्रीहरिकोटा, 19 दिसंबर, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का सैन्य संचार उपग्रह जीएसएटी-7ए लॉन्च पैड जीएसएलवी-एफ11 के साथ प्रक्षेपित होने के 19 मिनट बाद तीन अलग चरण में सामान्य रूप से अलग होकर 33,190 से 40,600 किलोमीटर की दूरतम बिंदु पर 19.35 डिग्री की झुकाव के साथ सफलतापूर्वक जिओसिंक्रोनस ट्रांसफर कक्षा (जीटीओ) में स्थापित हो गया। जीएसएटी-7ए की कार्य अवधि आठ साल की है और यह ऑनबोर्ड संचालक शक्ति व्यवस्था के जरिए अपनी अंतिम जियोस्टेशनरी कक्षा (जीईओ) में स्थापित होगा। इसरो सूत्रों ने बताया कि उपग्रह को लॉन्चर से अलग होने के बाद अपनी निर्धारित कक्षा तक पहुंचने में कुछ दिन लगेंगे। जीएसएटी-7ए एक उन्नत सैन्य संचार उपग्रह है जिससे भारतीय वायुसेना को काफी मदद मिलेगी। यह भारतीय नौसेना के जीएसएटी-7 के समान है जो 30 अगस्त 2013 को फ्रेंच गुयाना से प्रक्षेपित हुआ था। इसरो अध्यक्ष डॉ. सिवान ने इसे 2018 का अंतिम मिशन बताते हुए कहा कि यह सफलता इसरो पर अधिक ज़िम्मेदारी बढ़ाती है कि वैज्ञानिक अधिक मिशन और अधिक सफलता के लिए काम करें। उन्होंने कहा, “ हम जल्द ही फिर से एक बड़े मिशन के साथ नया साल शुरू करेंगे।” जीएसएटी-7ए वायुसेना के एयरबेस, राडार स्टेशन और बिरीव ए-50 फाल्कॉन जैसे एयरबोर्न प्रारंभिक चेतावनी एवं नियंत्रण विमान और डीआरडीओ एईडब्ल्यू एंड सीएस से इंटरलिंक होंगे। उपग्रह आईएएफ की नेटवर्क-केंद्रित युद्ध क्षमताओं को बढ़ाएगा जिससे उसका वैश्विक परिचालन बढ़ेगा। यह उपग्रह भू-नियंत्रण केंद्रों पर निर्भरता को कम करके ड्रोन अभियानों और मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) को नियंत्रण करने में मदद करेगा।
गुरुवार, 20 दिसंबर 2018
जीएसएटी-7ए सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित
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