नयी दिल्ली, 21 दिसंबर, कांग्रेस ने निजी कंप्यूटरों को जांच एजेंसियों की निगरानी के दायरे में लाने के सरकार के आदेश को नागरिकों की निजी आजादी और निजता पर सीधा हमला करार दिया और आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार देश को ‘निगरानी राज’ (सर्विलेंस स्टेट) एवं ‘पुलिस राज’ में तब्दील कर रही है, लेकिन इस कदम से सिर्फ यही साबित होगा कि वह एक ‘असुरक्षित तानाशाह’ हैं। पार्टी ने आदेश के दुरुपयोग की आशंका भी जताई और दावा किया कि यह निजता को मौलिक अधिकार बताने वाले उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है। उधर, कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि सरकार ने इस मामले में कुछ भी नया नहीं किया है। उन्होंने कांग्रेस पर देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने का भी आरोप लगाया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, ' मोदी जी, भारत को पुलिस राज में बदलने से आपकी समस्याएं हल नहीं होने वाली है।' उन्होंने कहा, 'इससे एक अरब से अधिक भारतीय नागरिकों के समक्ष सिर्फ यही साबित होने वाला है कि आप किस तरह के असुरक्षित तानाशाह हैं।' पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने संसद भवन परिसर में कई विपक्षी दलों के नेताओं की मौजूदगी में संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह बहुत गंभीर घटनाक्रम है। इस आदेश के जरिए भाजपा सरकार भारत को निगरानी राज में तब्दील कर रही है। यह नागरिकों की निजी स्वतंत्रता पर सीधा हमला है तथा उच्चतम न्यायालय के उस निर्णय का प्रत्यक्ष उल्लंघन है जिसमें कहा गया था कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है।’’ राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाब नबी आजाद ने कहा कि सरकार ने इस आदेश के माध्यम से देश में अघोषित आपातकाल लगा दिया है।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, ‘‘अबकी बार, निजता पर वार। मोदी सरकार ने निजता के मौलिक अधिकार का मजाक बनाया है। चुनाव हारने के बाद मोदी सरकार आपके कंप्यूटर की जासूसी कराना चाहती है।’’ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने गृह मंत्रालय की ओर से जारी आदेश पर चिंता प्रकट करते हुए कहा, ‘‘इलेक्ट्रॉनिक निगरानी की अनुमति देने का सरकार का आदेश नागरिक स्वतंत्रता एवं लोगों की निजी स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। इसके दुरुपयोग की आशंका है।’’ कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा, ‘‘तीन राज्यों में कांग्रेस की जीत के बाद अब भाजपा राजनीतिक हताशा में घर-घर की निजी बातचीत सुनना चाहती है। तानाशाही सरकार का एक तुगलकी फरमान है।’’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ यह सरकार न उच्चतम न्यायालय के निर्णय में विश्वास रखती है और न लोकतंत्र में विश्वास रखती है। गृह मंत्रालय की ओर से जारी आदेश का लोकतंत्र को मोदी तंत्र बनाने का हथकंडा और हथियार है।’’ खबरों के मुताबिक गृह मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि खुफिया ब्यूरो, मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई), सीबीआई, एनआईए, रॉ, ‘डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस’ और दिल्ली के पुलिस आयुक्त के पास देश में चलने वाले सभी कंप्यूटरों की कथित तौर पर निगरानी करने का अधिकार होगा।
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