कटनी. यू.पी.ए.सरकार के कार्यकाल में बना है वनाधिकार कानून- 2005. भले ही देश में 13 साल से लागू है पर लोगों को वनाधिकार कानून-2005 के तहत लाभ नहीं पहुंचाया जा रहा है. वनाधिकार कानून द्वारा वनवासी आदिवासी को अधिकार मिला है. इसमें आदिम जाति भाइयो-बहनों को स्थाई आजीविका का साधन निहित है. इसमें कृषि आधारित/गैर कृषि आधारित आजीविका खड़ी हो रही है. गांव में भूमि अधिकार के बिना लोग हैं. बिन माता- पिता जैसे गांव का रूका साठ प्रतिशत पलायन. ग्राम के लोग करते थे 2007 तक पलायन. वनाधिकार कानून 13 दिसम्बर, 2005 को 01 जनवरी 2008 से सम्पूर्ण देश मै लागू किया गया. सिर्फ( जम्मू- कश्मीर ) को छोड़ कर मध्यप्रदेश में 26 जनवरी 2008 से 04 फरवरी 2008 तक ग्राम, टोला, कस्बा, ग्राम पंचायत में विशेष ग्राम सभाओं का आयोजन कर ग्राम वनाधिकार समितियों का गठन किया गया. गठित की गई समितियों को कानूनी कार्यवाही करने के लिऐ, समस्त कानूनी अधिकार दिये गये, समितियों के समस्त पदाधिकारियो को नियमानुसार ग्राम मेंं निवास कर रहे लोगो को अपने अधिकारो व आजीविका कृषि आधारित /गैर कृषि आधारित आजीविका के लिए स्थाई आजीविका खड़ी हो रही है. गांव में लोग, रबी, खरीफ, ग्रीष्म कालीन कृषि करके ,,वन उपज, तेदूपत्ता, चार चिरोंजी, महुआ, वेल, आंवला,जामुन, मुन्गा, अमरूद, सीताफल, हर्र, बहेडा, गोंद,मूसली सफेद ,खेर,धवागोंद,कंद मूलफल, मछली आखेट, कानूनी अधिकार,तथा सामुदायिक अधिकार,जैसे निस्तार /कृषि के लिए है.
गुरुवार, 13 दिसंबर 2018
देश में 13 साल से लागू है वनाधिकार कानून-2005
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