पटना, 30 दिसम्बर। मोदी सरकार और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) जिस तरह देष की लोकतांत्रिक और स्वायत्त संस्थाओं में हस्तक्षेप कर रही है, वह भारतीय लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा है। ये बातें आज यहां जनषक्ति भवन परिसर में वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता का॰ यू.एन. मिश्र को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए आयोजित श्रद्धांजलि सभा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव के. नारायणा ने कही। उन्होंने श्रद्धांजलि में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए देष की आज की गंभीर स्थिति का भी उल्लेख किया। उन्होने कहा कि रिजर्व बैक, सीबीआई, चुनाव आयोग, ई.डी. न्यायपालिका, आयकर विभाग आदि संस्थाओं में प्रधानमंत्री कार्यालय का सीधा हस्तक्षेप भारतीय संवैधानिक व्यवस्था पर खतरा है। आर.एस.एस. और भाजपा पर निषाना साधते हुए उन्होंने कहा कि सबरीमाला मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भारतीय जनता पार्टी विरोध कर रही है और अयोध्या में राम मंदिर मामले पर यह सरकार पर दवाब बना रही है कि सरकार जन भावना के आधार पर फैसला करे। उन्होंने कहा कि देष की आधी आबादी महिलाओं का उत्पीड़न किया जा रहा है और उनके सम्मान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। यह मानवाधिकार का उल्लंघन है। आर्थिक मोर्चें पर उन्होंने कहा कि एक तरफ देष में लोग भूख से मर रहे है, देष में महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है और दूसरी ओर करोड़पति के मामले में देष दुनियाँ में तीसरे नम्बर पर है। हमारे यहां से अनाज का निर्यात हो रहा है जबकि लोग यहां भूख से मर रहे हैं। एन.पी.ए. के मामले में भी यह देष दुनियाँ में तीसरे नम्बर पर है। संसाधनों के असमान वितरण एवं व्यवस्थागत दोष के चलते यह परिस्थिति बनी हुयी है। यह ज्ञातव्य है कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता, माक्र्सवादी चिंतक, लेखक और पत्रकार का॰ यू.एन. मिश्र का देहान्त 12 दिसम्बर को हो गया। दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए पटना अवस्थित जनषक्ति भवन परिसर में एक सर्वदलीय श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गयी थी। श्रद्धांजलि सभा में बड़ी संख्या में राजनीतिक दलों के नेता एवं कार्यकत्र्ता, बुद्धिजीवि, पत्रकार, छात्र, युवा महिलाएंे और विभिन्न जनसंगठनों के नेता उपस्थित थे। सर्वप्रथम नेताओ और आमलोगों ने का॰यू.एन. मिश्र के चित्र पर फूलमाला चढ़ाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह ने की। अपने दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने कहा कि का॰ यू.एन. मिश्र एक सच्चे कम्युनिस्ट, कुषल लेखक एवं पत्रकार और माक्र्सवादी चिंतक थे। वे अपने छात्र जीवन में ही माक्र्सवाद और कम्युनिस्ट पार्टी के प्रभाव में आ गए। वे पढ़ाई पूरी कर लेने के बाद सरकारी नौकरी में चले गये लेकिन बीच में ही उन्हें अपनी नौकरी छोड़ देनी पड़ी। क्योंकि पार्टी के राज्य नेतृत्व ने उन्हें दैनिक जनषक्ति में काम करने के लिए पूरावक्ती के रूप में पटना बुला लिया। का॰ यू.एन. मिश्र एक प्रतिबद्ध और निष्ठावन कम्युनिस्ट, अनुषासन प्रिय और कर्मठ परिश्रमी नेता थे। श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में राजनीतिक दलों के प्रमुख नेता थे - सी.पी.एम के राज्य सचिव अवधेष कुमार, भाकपा माले के के.डी. यादव, एस.यू.सी. आई. (सी), मणिकांत पाठक, फारवर्ड ब्लाॅक के अमरीका महतो राजद के देवमुन्नी सिंह यादव, समाजवादी पार्टी के भगवान प्रभाकर, लोकतांत्रिक जनता दल के संतोष यादव आदि थे। श्रद्धांजलि अर्पित करने वाले बुद्धिजीवियों में प्रमुख थे डा॰ खगेन्द्र ठाकुर, डा॰ ब्रज कुमार पाण्डेय, केदार नाथ पाण्डेय, विधान पार्षद एवं प्रो॰ अरूण कुमार आदि। विभिन्न संगठनों के नेताओं ने भी दिवंगत कम्युनिस्ट नेता का॰ यू.एन. मिश्र को श्रद्धांजलि अर्पित की उनमें प्रमुख थे:- प्रगति लेखक संघ की ओर से राजेन्द्र राजन, खेत मजदूर यूनियन की ओर जानकी पासवान, किसान सभा की ओर से अषोक प्रसाद सिंह इस्कफ की ओर से रवीन्द्र नाथ राय, एटक की ओर से अजय कुमार, ए.आई.एस.एफ. की ओर विष्वजीत कुमार, ए.आई.वाई. एफ. की ओर रौषन कुमार सिन्हा, आॅल इंडिया तजीमें-इन्साफ की ओर से मो॰ जब्बार आलम। का॰ यू.एन. मिश्र के बड़े पुत्र विरेन्द्र मिश्र ने भी अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। सभा के अंत में सभी लोगों ने खड़े होकर का॰ यू.एन. मिश्र की याद में मौन रखा।
रविवार, 30 दिसंबर 2018
बिहार : केंद्र का हस्तक्षेप लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा
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