विशेष : ‘काशी के कोतवाल’ का ऐसा है रुतबा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 23 दिसंबर 2018

विशेष : ‘काशी के कोतवाल’ का ऐसा है रुतबा

आला अफसर भी लगाते काल भैरव के दरबार में हाजिरी, मंगलवार धर्म संस्कृति के लिये प्रेषित
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इस देश में आस्था सिर चढ़कर बोलती है। शायद भारत भूमि दुनिया का एकमात्र ऐसा देश होगा जिसके धरती से जुड़ी रहस्य कथाए व बाते दुनिया भर के लोगों को अपनी ओर खिंचती है। अगर बात बनारस की हो तो भगवान शिव और काल भैरव का उल्लेख नहीं हो ऐसा शायद कम ही होता है। बनारस में ही काल भैरव का अति प्राचीन मंदिर है। जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां के बड़े से बड़े प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी इस क्षेत्र में जब पहली बार अपनी ड्यूटि पर तैनात होंते हैं तो काल भैरव के मंदिर में जरुर हाजिरी लगाते है। ऐसा यहां के लोगों ने बातचीत में बताया। लोगों द्वारा प्रदत्त जानकारी को माने तो ऐसा पुलिस थाना है जिसके कोतवाल बाबा काल भैरव हैं और यहां के अफसर ‘बाबा काल भैरव’ के तस्वीर के बगल में अपनी कुर्सी लगाकर बैठते है। बनारस यानी बाबा शिव की नगरी. गंगा के तट पर बसे इस शहर में हर साल लाखों करोड़ों लोग मुक्‍ति की कामना लेकर पहुंचते हैं। काशी के नाथ विश्‍वनाथ हैं जिनके दर्शन किए बिना कोई वापस नहीं जाना चाहता। ऐसी मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ के इस शहर में रहने के लिए बाबा काल भैरव की इजाजत लेना जरूरी है। वही इस शहर के प्रशासनिक अधिकारी हैं। इसीलिए उन्हें 'काशी का कोतवाल' कहा जाता है। बाबा काल भैरव का प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर शहर के मैदागिन क्षेत्र में स्थित है। जनश्रुति व पुराणों व धर्मग्रंथो की माने तो कि ब्रह्मा ने पंचमुखी के एक मुख से शिव निंदा की थी। इससे नाराज काल भैरव ने ब्रह्मा का मुंह ही अपने नाख़ून से काट दिया था। काल भैरव के नाख़ून में ब्रह्मा के मुंह का अंश चिपका रह गया था, जो हट नहीं रहा था। भैरव ने परेशान होकर सारे लोकों की यात्रा कर ली, मगर ब्रह्म हत्या से मुक्ति नहीं मिली। तब भगवान विष्णु ने काल भैरव को काशी भेजा। यहां पहुंचकर उन्हें ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति मिली और उसके बाद वे यहीं स्थापित हो गए। वैसे अगर आप यहां जाये तो आपको काल भैरव की यहां जो मंदिर है यहां इन सभी बातों की जानकारी मिल सकती है। 




--जगदीश यादव--

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