तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए छिन्दवाड़ा के निवर्तमान सांसद कमलनाथ को कांग्रेस ने मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री नियुक्त किया।17 दिसबंर को कमलनाथ ने मध्यप्रदेश के अगले मुख्यमंत्री के रुप में शपथग्रहण किया।इसके तुरंत बाद बतौर मुख्यमंत्री किसानों के दो लाख तक का कर्जा माफ कर सुर्खियां बटोरने का काम किया। कमलनाथ के इस फैसले का हर तरफ स्वागत किया गया।लेकिन अगले ही दिन कमलनाथ के एक बयान ने बिहार और यूपी समेत कई राज्यों का सियासी पारा बढ़ाने का काम किया।कमलनाथ के विवादस्पद बयान के बाद भाजपा समेत पूरा विपक्षी कुनबा हमलावर हो कर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और कमलनाथ पर टूट पड़ा। कमलनाथ ने अपने बयान में कहा कि मध्यप्रदेश सरकार उन उद्योगों को सरकारी सहायता मुहैया कराएगी जो अपनी रिक्तियों में 70 फीसदी भर्ती स्थानीय लोगों का करेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य में बहुत से उद्य़ोग स्थापित किये गए हैं।उनमें से अधिकतर उद्योगों में यूपी, बिहार जैसे अन्य राज्यों के लोग काम करने आते हैं,जिस कारण स्थायीय लोग रोजगार से वंचित रह जाते हैं।रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए कमलनाथ ने पैकेजिंग और होटल क्षेत्र में नौकरियां बढ़ाने के लिए नय गार्मेंट पार्क स्थापित करने की बात कही। कमलनाथ के इस बयान के बाद कई नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष तक को अपने लपेटे में लिया। बीजेपी के गिरिराज सिंह ने कहा कि बिहार और यूपी के लोग जिस भी राज्य में जाते हैं वहां के विकास के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।कड़े तेवर दिखाते हुए गिरिराज सिंह ने कहा कि कमलनाथ को साफ करना चाहिए कि उनके कहने का अर्थ क्या है? जद (यू) प्रवक्ता नीरज कुमार ने कमलनाथ के इस बयान को देश के संघीय ढ़ाचे पर हमला बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता क्षेत्रीयता को बढ़ावा दे रहे हैं।यह बिहार और यूपी के लोंगो का अवमान है। हालाकि राजद के नेताओं ने इस बयान से खुद को अलग रखा।सीधे तौर पर कमलनाथ के बयान पर कुछ भी बोलने से बचते रहें।
---आविनाश मिश्र---
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