ताजा राजनीतिक परिस्थिति के साथ आशाकर्मियों व 8-9 जनवरी को मजदूर वर्ग की हड़ताल पर होगी चर्चा.
पटना 24 दिसंबर बिहार के 6 वाम दलों की संयुक्त बैठक कल पटना में भाकपा-माले विधायक दल कार्यालय में रखी गई है. भाकपा-माले के पोलित ब्यूरो सदस्य काॅ. धीरेन्द्र झा ने कहा है कि इस बैठक में सीपीआई, सीपीआईएम, भाकपा-माले, एसयूसीआईसी, फारवर्ड ब्लाॅक और आरएसपी के नेतागण भाग लेंगे. बैठक के एजेंडों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें बिहार की ताजा राजनीतिक परिस्थिति पर चर्चा के साथ-साथ विगत 25 दिनों से जारी आशाकर्मियों की हड़ताल पर बातचीत होगी. आशाकर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल की वजह से आज बिहार की स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह चरमरा गई है, लेकिन दिल्ली-पटना की सरकार इस पर कोई नोटिस नहीं ले रही है. वाम दल चाहते हैं कि इस मसले पर बिहार सरकार तत्काल कार्रवाई करे और आशाकर्मियों की हड़ताल समाप्त करवाए ताकि ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं पटरी पर आ सकें. वाम दल आशाकर्मियों की न्यायोचित मांगों का पूर्णरूपेण समर्थन करते हैं. उन्हें सरकारी सेवक का दर्जा तथा न्यूनतम 18000 रु. मासिक मानदेय मिलना ही चाहिए. न्यूनतम मजदूरी कानून का खुलेआम उल्लंघन इस मामले में देखा जा रहा है, जो कहीं से भी सही नहीं है. दिल्ली-पटना दोनों सरकारें स्कीम वर्करों के साथ घोर मजाक कर रही हैं. माले नेता ने आगे कहा कि कल की बैठक में 8-9 जनवरी को मजदूर वर्ग की हो रही ऐतिहासिक हड़ताल की तैयारियों पर भी बातचीत होगी. 2018 का अंत यदि दिल्ली में किसानों के जुझारू आंदोलनों के साथ हो रहा है, तो 2019 की शुरूआत मजदूर वर्ग की ऐतिहासिक हड़ताल से होगी. छात्र, बेरोजगार, कम तनख्वाह पाने वाले लोग, दुव्र्यवहार के शिकार नौजवान, महिलाएं, दलित, आदिवासी, किसान, मजदूर और मध्यवर्ग सब के सब मोदी राज में उत्पीड़ित हैं. जनता के प्रतिरोध के तेवर को नई गति देते हुए 2019 में फासीवादी मोदी सरकार पर अंतिम और निर्णायक चोट की दिशा में 8-9 जनवरी की हड़ताल को जनता के विभिन्न हिस्सों से व्यापक समर्थन की अपील के साथ हम इसकी तैयारी कर रहे हैं.
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