मधुबनी : "तीन दिवसीय" लिटरेचर फेस्टिवल का हुआ उदघाटन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 19 दिसंबर 2018

मधुबनी : "तीन दिवसीय" लिटरेचर फेस्टिवल का हुआ उदघाटन


राजनगर/मधुबनी (आर्यावर्त संवाददाता), आज मधुबनी के स्थानीय राजपरिसर स्थित गिरिजा मंदिर प्रांगण में सीएसटीएस,दिल्ली के तत्वावधान तथा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र,साहित्य अकादमी एवं गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति,नई दिल्ली व वीएसजे कॉलेज तथा एसएसबी की 18वीं वाहिनी के संयुक्त सहयोग से आयोजित मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल का दीप प्रज्वलित कर मधुबनी पेंटिंग की हस्ताक्षर बौआ देवी, जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक, एसएसबी कमांडेंट अजय कुमार, राजनगर कालेज के प्राचार्य हीरानन्द आचार्य, श्री भीमनाथ झा , श्री रामवतार यादव , श्री फनिकान्त मिश्र ने ने किया ! आज कार्यक्रम के पहले दिन कवि गोष्ठी, तंत्र विद्या, शक्ति, रसनचौकी सहित ध्रूप गायन की प्रस्तुति की गई ! मधुबनी पेंटिंग्स के स्टॉल  के साथ साथ पुस्तकों की भी स्टाल लगाई गई जिसमें पाग, दोपट्टा, फूड, किताबें और भी कई तरह को स्टॉल में सजाया गया था ! जिलाधिकारी के साथ साथ सभी अतिथियों में सभी स्टॉल का बारीकी से निरीक्षण किया. कार्यक्रम के दौरान पुस्तक "अहिबात" का विमोचन भी हुआ ।  पुरातत्वविद फणीकांत मिश्र ने कहा कि राजनगर का राजपरिसर इटालियन सभ्यता का उत्कृष्ट नमूना है। काली मंदिर के निर्माण में की गई नक्काशी काबिल-ए-तारीफ है। यह स्थल तंत्र साधना का विशिष्ट केंद्र रहा है। यहां की मिट्टी में ऐसी कौन सी खासियत है कि दरभंगा नरेश रमेश्वर ¨सह ने राजपरिसर निर्माण के वास्ते राजनगर का ही चयन किया। इस विषय पर शोध होना चाहिए। उन्होनें डीएम से मधुबनी को मंदिरों का शहर घोषित किये जाने की मांग की। उन्होनें आम जन से राजपरिसर का संरक्षण नहीं तो वोट नहीं का मुद्दा उठाने तथा इस सवाल पर सांसद व विधायक को घेरने की अपील की। ध्रुपद गायन की प्रस्तुति दरभंगा घराने के सुमित और कौशिक जी ने किया और इनके गायन सुनकर दर्शक मंत्रमुग्ध रहे. कवियों के कवी संगोष्ठी में ने बेहतरीन प्रस्तुति दी. वहीँ मिथिला का पारंपरिक रसनचौकी के कलाकारों ने अपने वाद्ययंत्रों  से सभी दर्शकों का मन मोह लिया. समारोह में  डिप्टी कमान्डेंट जीतेंद्र जोशी,  प्रो. उदयचन्द्र झा विनोद, डॉ. लक्ष्मीनाथ झा, डॉ. भवनाथ झा, डॉ. मित्रनाथ झा, डॉ. सदानंद झा, अमलेंदु शेखर पाठक, डॉ. विनयानंद झा, प्रो. श्रीश चौधरी, प्रो एमजे वारसी, डॉ. मिथिलेश कुमार झा, अमित आनंद,  आनंद मोहन झा, संजीव झा, वीणा झा, घोघर राम, इंदु झा, उíमला देवी, दुलारी देवी,ललिता देवी, अरहुलिया देवी समेत दर्जनों प्रबुद्ध शामिल हुए.

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