बिहार : आदिवासी मुंडा आज भी फटेहाली जिंदगी जीने को बाध्य - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 23 दिसंबर 2018

बिहार : आदिवासी मुंडा आज भी फटेहाली जिंदगी जीने को बाध्य

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कुर्सेला। कटिहार जिले के कुर्सेला प्रखंड में है पूर्वी मुरादपुर ग्राम पंचायत। इस पंचायत में है बसुहार मजदिया मुंडा टोला। यहां पर आदिवासी मुंडा140 साल से रहते हैं। देखते ही देखते यहां पर तीन पुश्त गुजार दिए। आज भी फटेहाली जिंदगी जीने को बाध्य हैं। इसके आलोक में बिहार सरकार ने वर्ष 1986-87 में 6 और 2004 में 5 लोगों को लाल कार्ड की जमीन दी थी। बिहार सरकार ने बाजाप्ता आदिवासियों को जमीन बन्दोबस्ती का परवाना दिए। पर दुर्भाग्य से आजतक लाल कार्ड की जमीन पर आदिवासियों ने पैर रखे नहीं और दबंग कब्जा कर कुंडली मार बैठे हैं। 

वर्ष 1986-87 में 6 आदिवासी मुंडा को बिहार सरकार ने परवाना दिएः आदिवासी मुंडा लोगों का कहना है कि 140 साल पहले अंग्रेजों ने अविभाजित झारखंड से फैक्ट्री और खेती में काम करवाने के लिए लाए थे। कुछ लोग देवीपुर स्थित नील की फैक्ट्री में तो कुछ लोग नील की खेती करने में लगाए गए। अंग्रेजों के कार्यकाल में आदिवासयिों की जिंदगी में सुधार नहीं आया। तो आजादी के बाद सरकार सुधि लेनी शुरू की। देर से ही सही प्रेमलाल मुंडा पिता स्व. कालेश्वर मुंडा, स्व.लालजी मुंडा पिता स्व. धनेश्वर मुंडा, गुलाबी मुंडा पिता स्व.धनेश्वर मुंडा,मुक्ति मुंडा पिता स्व. श्रवण मुंडा,हरिनंदन मुंडा पिता स्व.सहदेव मुंडा और राम चरित्र मुंडा को लाल कार्ड की जमीन मिली। जमीन पर पैर जमाने के पहले ही प्रेमलाल मुंडा धरती पर से उठ गए। उसी तरह लालजी मुंडा स्वर्ग सिधार गए। उनकी विधवा सोहनी देवी हैं। 

जमीन बन्दोबस्तीः बिहार सरकार के राजस्व विभाग,जिला कटिहार के द्वारा जमीन बन्दोबस्ती कर परवाना दिया गया। गजट संख्या-3 दिनांक 03.01.85। भूधारी का नाम श्री ताले मंडल। न्यायालय राजस्व अनुमंडल पदाधिकारी,कटिहार ग्राम बसुहार थाना कोढ़ा थाना नम्बर-286 जिला कटिहार। वाद संख्या और वर्ष 30 86-87।रैयत का नाम कालेश्वर मुंडा पिता भादो मुंडा सा.बसुहार खाता संख्या-526 खेसरा संख्या-1828 रकवा 0Ú 50 डी.। प्रति एकड़ प्रत्येक किस्म की जमीन का लगान दर 5 Ú (पांच रू0) प्रत्येक किस्म की जमीन की कुल लगान 2.50 रू0। उप समाहर्ता प्रभारी भूमि सुधार 4.4.1987।

मालगुजारी रसीद कटवाने जाने पर फटकार कर भगा देते हैं बड़ा बाबूः जी हां, एक ओर राज्य सरकार आर्थिक संकट से जूझ रही हैं वहीं स्वेच्छा से मालगुजारी देने जाने वाले लोगों को फटकार कर भगा देते हैं अंचल कार्यालय के बड़ा बाबू। खुद आवेदन भी स्वीकार नहीं करते हैं और न ही लोक सेवाओं के अधिकार कानून के तहत स्वीकार करने देते हैं। यह हाल कुर्सेला अंचल कार्यालय का है। जो कटिहार जिले के अन्तर्गत आता है।

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