नई दिल्ली, 27 दिसम्बर, चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से नवंबर की अवधि में देश का राजकोषीय घाटा पूरे साल के बजटीय लक्ष्य का 114.8 फीसदी हो गया है, जोकि कुल 7.17 लाख करोड़ रुपये है। इसका मुख्य कारण राजस्व की वृद्धि दर कम होना है। बजट में पूरे साल में कुल 6.24 लाख करोड़ रुपये के वित्तीय घाटे का लक्ष्य रखा गया था। महालेखा नियंत्रक (सीजीए) द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में राजकोषीय घाटा पूरे वित्त वर्ष के लक्ष्य का 112 फीसदी रहा था। चालू वित्त वर्ष में नवंबर तक सरकार का कुल खर्च 16.13 लाख करोड़ रुपये (बजटीय अनुमान का 66.1 फीसदी) रहा, जबकि कुल प्राप्ति 8.97 लाख करोड़ रुपये (बजटीय अनुमान का 49.3 फीसदी) रहा, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में समान अवधि में कुल प्राप्ति बजटीय अनुमान का 54.2 फीसदी था। वित्त मंत्री ने एक बयान में कहा, "समीक्षाधीन अवधि में कुल 4,31,963 करोड़ रुपये राज्य सरकारों को करों के हिस्से के रूप में हस्तांतरित किए गए, जोकि पिछले साल की समान अवधि में 46,677 करोड़ रुपये थी।" इस अवधि में सरकार द्वारा किए गए कुल व्यय का 14.22 लाख करोड़ रुपये राजस्व खाते में और 1.91 लाख रुपये पूंजी खाते में किया गया। बयान में कहा गया, "कुल राजस्व व्यय में 3,48,233 करोड़ रुपये ब्याज चुकाने में खर्च हुए और 2,19,046 करोड़ रुपये सब्सिडी के मद में खर्च हुए।" वहीं, दूसरी तरफ सरकार को हुई प्राप्ति में से 7.32 लाख करोड़ रुपये कर राजस्व से प्राप्त हुए, जबकि 1.38 लाख रुपये गैर कर राजस्व से और 26,277 करोड़ रुपये गैर-कर्ज पूंजी प्राप्ति से हुई। इस दौरान हालांकि सरकार की कर से होनेवाली आय बजटीय अनुमान का 49.4 फीसदी रहा, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 57 फीसदी था।
शुक्रवार, 28 दिसंबर 2018
राजकोषीय घाटा अप्रैल-नवंबर में लक्ष्य का 115 फीसदी
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