नयी दिल्ली 04 दिसंबर, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि नारेबाजी से न तो किसानों की समस्यायें दूर हो सकती हैं, न ही ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता सुधर सकती है। श्री जेटली ने मंगलवार को अपने ब्लॉग पर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के कामकाज की तुलना करते हुये कहा कि वर्ष 1971 के बाद से कांग्रेस की नीति जुमलों की रही है, न कि संसाधन की। वहीं, राजग ने ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधन झाेंका है। इससे बुनियादी ढाँचों में सुधार हुआ है और लोगों की जीवन की गुणवत्ता भी सुधरी है। इससे कृषि उत्पादकता बढ़ी है और किसानों को बेहतर कीमत देने की कोशिश की गयी है। उन्होंने कहा कि पिछले साढ़े चार वर्ष तो सिर्फ शुरुआत है। यदि इस तरह से ग्रामीण क्षेत्रों में अगले दो दशक तक वार्षिक वृद्धि के साथ निवेश जारी रहेगा तो लोगोें को बेहतर जीवनशैली मिल सकेगी और शहरी क्षेत्रों की तरह ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर भी होंगे। उन्होंने कहा कि किसानों की उत्पादकता बढ़ाने और उनकी आय में बढ़ोतरी के लिए सरकार ने पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाया है। कृषि शोध एवं शिक्षा पर निवेश बढ़ाया गया है। सिंचाई में भी निवेश बढ़ाया गया है। गरीबों की मदद के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए मनरेगा पर इस वर्ष 60 हजार करोड़ रुपये दिये गये हैं जो संप्रग सरकार के कार्यकाल में किये गये व्यय की तुलना में दो गुना है। ग्रामीण गरीबों सहित सभी गरीबों के लिए खाद्य सब्सिडी के वास्ते 1.6 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि कई फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की गयी है ताकि लागत का 50 प्रतिशत अधिक मिल सके। ब्याज में छूट के लिए दोगुनी राशि का आवंटन किया गया है। पिछले वर्ष गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों में 3,96,831 करोड़ रुपये व्यय किये गये थे। इस वर्ष भी 4,38,741 करोड़ रुपये व्यय होने की संभावना है जबकि संप्रग ने अपने कार्यकाल के अंतिम वर्ष में 2,41,602 करोड़ रुपये व्यय किया था।
मंगलवार, 4 दिसंबर 2018
जुमलों से दूर नहीं हो सकती किसानों की समस्या : जेटली
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