नयी दिल्ली 20 दिसंबर, उप-राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने राजनीतिक दलों से जनप्रतिनिधियों के लिए आचार संहिता निर्धारित करने की आज अपील की और कहा कि जनप्रतिनिधियों को विधायी सदनों में जनता की आवाज़ उठानी चाहिये। आई.आई.टी. मद्रास की ‘छात्र विधायी परिषद’ के सदस्यों से बातचीत करते हुये श्री नायडू ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को गरीबों और वंचितों की पीड़ा के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। भारत को ऐसे नेताओं की जरूरत है जो युवाओं की बढ़ती आकांक्षाओं को समझें और उनकी आवाज उठायें। उन्होंने कहा कि सदन का बहुमूल्य समय नष्ट करना अच्छा नहीं होगा, और इससे केवल समाचार पत्रों की सुर्खियाँ ही बनेगी। उपराष्ट्रपति ने सकारात्मक चर्चा की जरूरत पर जोर दिया, जो भारतीय लोकतंत्र की मजबूती के लिए बहुत आवश्यक है। उन्होंने छात्रों से भारत को एक मजबूत राष्ट्र बनाने की दिशा में सक्रिय भागीदारी करते हुये अग्रणी भूमिका निभाने का आह्वान किया। श्री नायडू ने कहा कि विश्वविद्यालयों अथवा उच्चतर शिक्षण संस्थाओं को समाज, राजनीति, अर्थव्यवस्था, संस्कृति, विज्ञान और उद्योग जगत के बीच संबंधों की स्थापना करने में सार्थक भूमिका निभानी चाहिये। हमारी शिक्षा प्रणाली को परीक्षा अथवा डिग्री पाने की प्रणाली से निकलकर ज्ञान-सृजन प्रणाली की ओर बढ़ना चाहिये। भारत के लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों को विकास प्रक्रिया का स्तंभ बताते हुये, उन्होंने कहा कि हमारे संविधान में भारत की जनता के आदर्श और उनकी आकांक्षाएँ अंतर्निहित हैं। उप-राष्ट्रपति ने आई.आई.टी. जैसे अग्रणी संस्थाओं से कहा कि गाँव के जीवनयापन को समझने के लिए वे छात्रों को ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों से संपर्क करने के लिए प्रोत्साहित करें। उन्होंने कहा कि इससे छात्रों को सहानुभूति और दया की भावना विकसित करने में मदद मिलेगी तथा वे अंतत: बेहतर इंसान भी बन पायेंगे।
गुरुवार, 20 दिसंबर 2018
जन प्रतिनिधियों के लिए आचार संहिता तय करें राजनीतिक दल : वेंकैया
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