निर्माण सामग्री की गुणवत्ता जरूरी,बैंड में झुमका बीम में चूड़ी। सरल आकृति हो भवन का,फिर देखे परिणाम ||
मधुबनी : (आर्यावर्त डेस्क) बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के तकनीकी सलाहकार डॉक्टर सुनील कुमार चौधरी ने स्वरचित गीत के इन पंक्तियों के माध्यम से अभियंताओ को ग्रीन आपदा रोधी मकान में गुणवत्ता की महत्ता को समझाया। उन्होंने बताया कि हमेशा साफ एवं ताजा भवन निर्माण सामग्रियों का उपयोग करें। उन्होने ग्रीन बिलडिन्ग के लिए ऐसे सामग्री उपयोग मे लाने की सलाह दी जो कम से कम कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जित करता हो। गर्द्द से बचाने के लिए बालू को और स्टोन चिप्स को पॉलीथिन के चादर बिछाकर उस पर रखें तथा उन्हें पॉलिथीन चादर से ढक दें। दीवार निर्माण के लिए चिमनी भट्ठे के लाल रंग के ठीक से पके तथा एक ही आकार प्रकार होनी चाहिए। इस्तेमाल से पहले ईट को कम से कम 4 घंटा स्वच्छ जल में डुबोकर रखना अनिवार्य है।जोड़ाई के दौरान प्रत्येक रद्दा क्षैतिज समतल मे रखे एवं ईटों के छाप वाले फलक को ऊपर रखें। दीवार सही -सही ऊर्ध्वाधर खड़े होने चाहिए। जोन के हिसाब से मसाला सीमेंट बालू (1:4,1:6)का मिश्रण बनाकर ही दीवार जोड़े। मसाला परत की मोटाई तथा दो ईटों की बीच की दूरी 10 मिलीमीटर रखें। जोड़ाई के उपरांत 7 दिनों तक दीवार की तराई अति आवश्यक है। एक मंजिले मकान में आधा ईंट मोटी दीवार अथवा रेट- ट्रैप का सुझाव दिया जाता है। सीमेंट ताजा होना चाहिए। इसे सूखे अस्थान पर जमीन से ऊपर रखे। ईट जोड़ाई के लिए 43 ग्रेड सीमेंट अथवा पीपीसी पर्याप्त है। सीमेंट के मिश्रण में पानी मिलाने के 1 घंटे के अंदर उपयोग कर लेना अनिवार्य है। सरिया को जंग से बचाने के लिए स्थान के अनुरूप कवर ब्लॉक का प्रयोग करें। आरसीसी के लिए मिक्स डिजाइन के हिसाब से कंकरीटिंग करें तथा कंक्रीट को वाइब्रेटर से पर्याप्त सघन करें। कंक्रीट ढलाई के उपरांत अगले 10 दिनों तक स्वच्छ जल से लगातार उसके सतह को भिगोकर रखना अनिवार्य है। डा चौधरी ने बिलडिन्ग बाइ लौज पर विस्तार से चर्चा की एवं इसे सख्ती से लागू करने पर जोर दिया। इस अवसर पर मास्टर ट्रेनर साकेत कुमार एवं अभिषेक आनंद,रमन प्रसाद सिंह एवं जिला आपदा प्रबंधन के लोग उपस्थित थे।
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