चंडीगढ़ 25 दिसंबर, पंजाब के औद्योगिक शहर लुधियाना में कथित रूप से शिरोमणि अकाली दल के कार्यकर्ताओं ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मूर्ति को स्प्रे-पेंट से काला कर दिया और हाथ में लाल रंग लगा दिया। इसके बाद सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्षी शिअद के बीच तलवारें खिंच गईं, तीखी बयानबाजी हुई। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने जिला पुलिस को दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद पुलिस ने इस संबंध में मामला दर्ज किया है। यूथ अकाली दल के कार्यकर्ताओं मीतपाल दुगरी और गुरदीप सिंह गोशा द्वारा यहां से करीब 120 किलोमीटर दूर लुधियाना के सालेम तिबरी क्षेत्र में मूर्ति को निशाना बनाया। कांग्रेसी सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने बाद में देश पर प्राण न्योछावर करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री की मूर्ति को दूध से धोया। यूथ अकाली दल के कार्यकर्ताओं ने राजीव गांधी और कांग्रेस पर 1984 के सिख-विरोधी दंगों के दौरान हजारों सिखों के कत्ल का आरोप लगाया और उनकी मूर्ति के चेहरे पर कालिख पोत दी तथा हाथों को लाल रंग से रंग दिया। कार्यकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने ऐसा 'दंगों में राजीव गांधी की भूमिका को लेकर' अपना आक्रोश व्यक्त करने के लिए किया। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को 'ओछी राजनीति' से बाज आने को कहा। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, "आनेवाले लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को इसका नतीजा भुगतना पड़ेगा।" मुख्यमंत्री ने 'बादल से तुरंत अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के इस तरह के अप्रिय कृत्य के लिए माफी मांगने को कहा।' अमरिंदर ने एक बयान में कहा, "इस तरह के क्षुद्र और निंदनीय कामों से आपको या आपके परिवार को सिख समुदाय और गुरु ग्रंथ साहिब के खिलाफ किए गए पापों से आपको छुटकारा नहीं दिलाएगा।" मुख्यमंत्री ने कहा, "वे यह तथ्य अच्छी तरह जानते हैं कि 1984 के दंगों में राजीव गांधी का नाम कभी शामिल नहीं था। फिर भी राजनीतिक एजेंडे के तहत उनके और उनके परिवार का नाम इन मामलों में खींचते हैं।"
नवंबर, 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की दो सिख अंगरक्षकों द्वारा अंधाधुंध गोलियां चलाकर हत्या कर दिए जाने पर आक्रोशित लोगों ने सिख समुदाय को निशाना बनाया था। अपनी मां को खोने के गम में डूबे राजीव गांधी ने अचानक फैले दंगों पर कहा था, "जब बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती कांप उठती है।" शिअद की कारिस्तानी पर कांग्रेस के एक नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, "प्रधानमंत्री की हत्या हुई थी, कोई मामूली घटना नहीं थी। इंदिरा को चाहनेवाले कुछ लोग अपना आक्रोश दबा नहीं पाए। 2002 के गुजरात दंगों की तरह कुछ भी साजिशन नहीं हुआ था। वह अचानक फूटा आक्रोश था। आज अगर वैसा ही वाकया कोई मौजूदा प्रधानमंत्री के साथ दोहरा दे तो मॉबलिंचिंग टीमें देश का क्या हाल कर देंगी, किस किस को निशाना बनाएगी, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है।" शिअद के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने राजीव की मूर्ति पर कालिख पोते जाने पर प्रतिक्रिया देने के लिए ट्वीट किया, "आपको (कैप्टन अमरिंदर) सिख संगत से गांधी परिवार के साथ खड़ा होने, उनकी मदद से मुख्यमंत्री बनने के लिए माफी मांगनी चाहिए। समुदाय ने लुधियाना में यह दिखाया है कि वह राजीव गांधी के बारे में क्या सोचती है। सिखों की भावनाओं का अनादर ना करें।" बादल ने कहा, "अगर आपको (अमरिंदर सिंह) सिख कौम के लिए कोई दर्द है तो सीएम के पद से इस्तीफा दें और समुदाय के साथ खड़े हों, ताकि गांधी परिवार को 1984 के दंगों में उसकी भूमिका को लेकर बेनकाब किया जा सके। लेकिन लगता है कि आप पत्थर के बने हैं।" अमरिंदर ने दोहराया कि 1984 की हिंसा में भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कुछ कार्यकर्ता भी शामिल थे और न्यायपालिका अपना काम कर रही है, उनके खिलाफ फैसला सुना रही है। उन्होंने कहा, "सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है और अन्य आरोपियों को भी कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है।"
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