दरभंगा (आर्यावर्त डेस्क) आज दिनांक 01-12-2018 को विश्वविद्यालय अर्थशास्त्र विभाग में विभागाध्यक्ष प्रो० हिमांशु शेखर की अध्यक्षता में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका विषय 'सार्वभौमिक मूल आय की प्रासंगिकता और भारत' था। विचार व्यक्त करते हुए प्रो० हिमांशु शेखर ने कहा कि भारत मे गरीबी की सतत समस्या के निराकरण में सार्वभौमिक मूल आय की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि इसे वर्तमान में चल रहे समाजिक सुरक्षा योजनाओं के बदले नही बल्कि उनके साथ-साथ लागू किया जाना चाहिए। भ्रष्टाचार के निवारण की दिशा में भी यह एक सशक्त प्रयास सिद्ध होगा। प्रो० विजय कुमार यादव ने कहा कि इससे लोगो के क्रय शक्ति में वृद्धि होगी जिसके फलस्वरूप माँग में वृद्धि होगी और रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे तथा साथ ही साथ सामाजिक सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। विभाग में नव पदस्थापित प्रो प्रनतारति भंजन ने इसके सार्वभौमिक स्वरूप पर आशंका व्यक्त करते हुए कहा की यह लोगो को श्रम बल से विमुख होने की ओर प्रेरित कर सकता है। फलतः इसे लागू करने से पूर्व विस्तृत चर्चा और बहस की आवश्यकता है। आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 के आकलन के अनुसार इसका राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर कुल बोझ जीडीपी के 4.9% होने की संभावना है। शोधार्थी सुजीत साफी ने इसे लागू करने में 'जैम' तिकड़ी की भूमिका पर जोर दिया। विचार गोष्ठी में नीलाभ, जगन्नाथ कुमार, खुशबू, अदिति, शिवम, कंचन सहित पीजी प्रथम और तृतीय सेमेस्टर के अन्य छात्र छात्राओं ने भी विचार व्यक्त किया।
शनिवार, 1 दिसंबर 2018
दरभंगा : अर्थशास्त्र विभाग में एक विचार गोष्ठी का आयोजन
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