तंत्र मंत्र क्या है इसकी व्याख्या करने के लिये सैंकड़ों पन्नों को काला करना पड़ेगा। लेकिन अगर बात इसी महानगर कोलकाता की करे तो लगभग 17 साल पहले मैने एक एक्सक्लूसिव खबर संग्रह किया था। उक्त दौर में यह खबर एक दैनिक समाचार पत्र की मुख्य खबर बनी थी। लोगों ने रोचकता के साथ इसे पढ़ा था। आज उसी अनुभव को साझा कर रहा हूं। सच क्या है यह तो प्रकृति जाने लेकिन जो हुआ था या हो रहा था वह दिल को दहलाने वाला ही नहीं था बरन काफी मार्मिक था। बात मटियाबुर्ज संलग्न गार्डेनरीच के मुदियाली संलग्न इलाके की है। मेरे एक इन्फर्मा ने खबर दी की उक्त इलाके में दो बच्चे नौ साल की सुरभी दास व सात साल का सौरव दास ( काल्पनिक नाम) पर हर शाम कहर बरसाती है। जैसे ही शाम होता है इन बच्चों की चीख पुकार सुनाई देती है। कारण अपने आप इन दोनों बच्चों के शरीर पर ऐसे जख्म उभर आते है जैसे किसी ने इन बच्चो पर धारदार हथियार से से वार किया हो। ताजे जख्म से तेजी के साथ खून निकलता है और फिर इन बच्चों को दर्द होता है। बाद में उक्त जख्म अपने आप ठीक तो हो जाते हैं लेकिन फिर से हर रोज यही सिलसिला शुरु होता है। मै सुना तो दंग रह गया। मै सोच रहा था कि इस दौर में इन बातों पर कौन विश्वास करेगा। लेकिन खबर में मुझे जान प्रतित हो रहा था तो मै भला कैसे थमता। मैने एक टीम तैयार किया। इसमे अपने मझले भाईया जीवन यादव, दोस्त मुकेश धानुक, अजित सिंह और झा जी को लिया। साथ में स्टील व वीडियो कैमरे, टार्च, टेप रिकार्डर और रस्सी रख लिया गया और ठीक शाम से पहले साढ़े चार बजे उक्त बच्चो के घर हमारी टीम पहुंच गई। बच्चों के माता पिता इतने परेशान थे कि क्या बताये। एक तरह से वह लोग कुछ समय में होने वाली शाम का नहीं चाहकर भी इंतजार कर रहें थें उनके बच्चों को खून भरा दर्द देती थी। हमलोगों ने इन बच्चों को बीच में बैठाया फिर हमारी टीम डट गई व बच्चो के चारों ओर रस्सी का घेरा कर दिया गया ताकी शाम होने तक बच्चे वहीं रहें। हम तसल्ली कर लेना चाहते थें की जो हो रहा है वह सच में दिखे और किसी तरह की हेरफेर की सम्भावना नहीं हो। इसके पीछे कारण था कि कईयों का मानऩा था कि ऐसा खबर में जगह पाने या अन्य किसी कारण से किया जा रहा हो। आपलोग विश्वास नहीं करेगें कि मै चाय पी रहा था कि तभी शाम के छह बजे सुरभी दास ने जोर से चीखा और अपने गरदन पर हाथ रख कर रोने लगी। हमारी टीम इससे पहले कुछ समझ पाती कि हमे जैसे काठ मार गया। हमारी टीम को कहर भरी शाम ने जैसे चुनौती दे दी। हमलोगों ने देखा कि सुरभी के गले पर जैसे किसी ने चाकू, ब्लेड जैसे सामान से चिरा लगा दिया हो। बच्ची के गरदान से लगातार खून बह रहा था । हैरत की बात थी कि सबकुछ वीडियो कैमरे में रिकार्ड हो चुका था। लेकिन फुटेज देखने पर कुछ भी समझ में नही आया। फुटेज में दिखा कि बच्ची के गले से अचानक खून बह रहा है और वह रो रही है। बहरहाल हमारी टीम वापस आ गई और फिर हमने खबर बनाई कि हर शाम कहर ढाती है इन मासूम बच्चो पर। दुसरे दिन इन बच्चों की मां ने मुझे फोन किया और कहने लगी अब आपलोग ही मेरे बच्चों को बचा सकते है। कारण तमाम डाक्टरों को समझ नहीं आ रहा था कि अगर यह कोई रोग है तो इसे क्या कहे। बच्चों कि मां का मानना था कि कोई जादू टोना कर रहा है। मैने उन्हें खड़गपुर में मेर एक पहंचान वाले का नम्बर दिया। बच्चों के माता पिता उक्त कथित तांत्रिक सज्जन से मिले । बाद में बच्चों के मां ने बताया कि एक सप्ताह से दोनों बच्चे ठीक है। अब शाम इनके उपर कहर नहीं ढाती है। सौरव व सुरभी की मां ने बताया उक्त तांत्रिक ने बताया कि उनके ही जान पहंचान का अत्यंत करीबी कोई तंत्र साधना सिख रहा है। वही शख्स कपड़े का दो गुड़िया बनाकर तंत्र साधना को अंजाम दे रहा था। उक्त शख्स जब हर शाम इन बच्चों के नाम से बनाई गुड़िया में सुईं से खरोंच मारता था तो इ बच्चों के शरीर पर खरोंच आते और फिर खून निकलता था। खैर इस तरह की साधना मुख्यता गुप्त होती है एवं या साधना किसी तांत्रिक द्वारा विशेष कार्य हेतु ही की जाती है इसमें विशेष पूजा एवं सिद्ध मंत्रो द्वारा लोगों को अपने वश में भी किया जाता है। साधना शमशान में किसी गुप्त या किसी गुप्त स्थान पर ही की जाती है इसमें तांत्रिक द्वारा मिट्टी या उड़द की दाल या आटे की गुड़िया बनाकर उसमें सिद्ध मंत्रों द्वारा प्राण वायु संचालित कर दी जाती है और उस गुड़िया में जिसको वश में करना होता है उसकी आत्मा को वश में कर लिया जाता है एवं अपने सभी कार्यों की उससे पूर्ति कराई जाती है काला जादू का रहस्य अत्यंत गुप्त है या क्रियाएँ गुरु के संरक्षण में ही किया जाता है। वैसे इस लेखन को केवल मनोरंजन के तहत ही ले।
--जगदीश यादव--
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