नई दिल्ली, 29 दिसम्बर, तीन तलाक को आपराधिक कृत्य के रूप में कानूनी जामा पहनाने को लेकर उत्सुक सरकार ने विधेयक सोमवार को राज्यसभा में पेश करने के लिए सूचीबद्ध करवा लिया है। विधेयक को राज्यसभा में पास करवाना मुश्किल होने की बात जानते हुए भी सरकार इसे सबसे ज्यादा प्राथमिकता दे रही है। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2018 को राज्यसभा में प्रमुख विधायी कार्य के तहत एक नंबर के मद के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों की संख्या अधिक है और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ दोस्ताना संबंध में रही पार्टी ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्नाद्रमुक) ने भी विधेयक का विरोध किया है। विधेयक और अध्यादेश के विरुद्ध वैधानिक कानून को एक साथ साप्ताहिक अवकाश के बाद सोमवार के लिए सूचीबद्ध किया गया है। विपक्ष ने मांग की है कि विधेयक पर विस्तार से विचार करने के लिए उसे दोनों सदनों की चयन समिति के पास भेजा जाए, जिसे मानने को सरकार तैयार नहीं है। विपक्ष के पास संख्याबल है इसलिए वह विधेयक को चयन समिति के पास भेजवाने में कामयाब हो सकता है। विधेयक ठीक एक साल पहले भी लोकसभा में पारित हुआ था, लेकिन विपक्ष के विरोध के कारण राज्यसभा में अटक गया। लोकसभा में गुरुवार को जब विधेयक पारित हुआ तो कांग्रेस और विपक्ष में शामिल अन्य दलों के साथ-साथ अन्नाद्रमुक ने सदन से वॉक-आउट किया। सरकार ने विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने की उनकी मांग नहीं मानी, जिसपर उन्होंने सदन से वॉक-आउट किया। चुनाव में भाजपा की संभावित सहयोगी अन्नाद्रमुक ने भी विधेयक पर विचार के लिए समिति के पास भेजने की मांग पर हस्ताक्षर किए हैं। अन्नाद्रमुक को लगता है कि विधेयक को समर्थन देने से उनके मुस्लिम समर्थकों के बीच अच्छा संदेश नहीं जाएगा। अन्नाद्रमुक की दिवंगत नेता जयललिता ने परिश्रम से मुस्लिम समुदाय के बीच पार्टी की साख बनाई थी। अन्नाद्रमुक सूत्रों के अनुसार, लोकसभा में विधेयक का विरोध पार्टी के सदस्य अनवर राजा का नहीं बल्कि पार्टी का फैसला था।
शनिवार, 29 दिसंबर 2018
तीन तलाक विधेयक राज्यसभा में सोमवार को पेश होगा
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