पटना,02 जनवरी। असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डाक्टर प्रमोद कुमार के कार्यक्षेत्र में है प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, धनरूआ। इस प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्सा प्रभारी हैं उदय प्रताप नारायण सिंह। आज उन्होंने सरकारी कार्य में व्यवधान करने वाले आशा कार्यकर्ताओं पर एफआईआर दर्ज करा दिया है। आशा कार्यकर्ताओं ने पुनपुन,मसौढ़ी आदि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में टीकाकरण करने पर पाबंदी लगा दिया है। परन्तु यहां के चिकित्सा प्रभारी ने दमनात्मक कदम नहीं उठाया है। बताते चले कि आज धनरूआ में टीकाकरण करना था। सभी ए.एन.एम.दीदी पहुंच गयी थी। मगर विभिन्न केंद्रों पर वैक्सीन पहुंचाने वाले कुरियर नहीं पहुंच सका। कुरियर को आते ही विरोध का सामना करना पड़ा। वह टीकाकरण की दवा निकालने जा ही रहा था कि दर्जनों की संख्या में आशा कार्यकर्ता आ धमके। आते ही कुरियर को टीकाकरण की दवा निकालने पर पाबंदी लगा दी। बात चिकित्सा प्रभारी तक पहुंचायी गयी। इसको लेकर डाक्टर सिंह तनमना गए। तुरंत धनरूआ थाना जा पहुंचे। वहां पर आशा कार्यकर्ताओं द्वारा सरकारी कार्य में व्यवधान डालने के आरोप में दर्जनों आशा कार्यकर्ताओं पर एफआईआर दर्ज करा दिया। इस तरह की कार्रवाई करने पर आशा कार्यकर्ताओं ने गहरा दुख व्यक्त किया है। इस दमन करने वाले डाक्टर उदय प्रताप नारायण सिंह को हटाने की मांग करने लगी है।
बता दें कि सरकारी कार्य में व्यवधान करने वालों पर कार्रवाई करने का आदेश दे रखा है पटना जिले के डीएम कुमार रवि। इस आदेष को पालन करने डाक्टर उदय प्रताप नारायण सिंह हो गए हैं। इसके पहले भी दुस्साहस डाक्टर साहब दिखा चुके हैं। काफी विरोध होने पर धनरूआ थाना में एफआईआर दर्ज नहीं हो सका था। इस बार सकरारी कार्य में व्यवधान करने के आरोप में एफआईआर दर्ज किया गया है। बता दें कि बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ के आह्वान पर एक दिसम्बर से आशा कार्यकर्ताओं का बेमियादी हड़ताल जारी है। इनलोगों के द्वारा स्वास्थ्य केंद्रों के कामकाज ठप कर रखा है। इसका खासा असर पड़ने लगा है। आगामी 15 जनवरी को एमआर का अभियान चलने वाला है। आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका व सहायिका भी अनिश्चिलकालीन हड़ताल पर है। वहीं ए.एन.एम.दीदी भी अनिश्चितकालीन हड़ताल करने के मूड में हैं। पटना जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से जुड़े दीदियों को एक साल से वेतन नहीं मिल रहा है। इस दिशा में सिविल सर्जन डाक्टर प्रमोद कुमार असहाय दिख रहे हैं। आसन्न 7 और 8 को सांकेतिक आंदोलन है। इसके बाद 15 जनवरी से बेमियादी हड़ताल है। इस तरह की घोषणा से सिविल सर्जन और चिकित्सा प्रभारियों का हाथ-पांव सूजने लगा है। एक ही उपाय है कि सरकार सख्त कदम उठाएं। जिनको वेतन भुगतान करना है उन्हें जल्द से जल्द वेतन भुगतान करें। आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सेविका व सहायिकाओं को मासिक वेतन देने की घोषणा कर दें। साढ़े चार हजार में दम नहीं है अठारह हजार से कम नहीं के नारा को पूरा कर दें।
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