बिहार : पटना-दीघा रेलखंड के किनारे रहने वाले विस्थापित खुले आकाश में रहने को मजबूर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 7 जनवरी 2019

बिहार : पटना-दीघा रेलखंड के किनारे रहने वाले विस्थापित खुले आकाश में रहने को मजबूर

  • विस्थापितों में एक महादलित मुसहर के लाल को ठंड लगने से दुनिया ही छोड़ गया
  • दोशाला ओढ़ने वाले और एसी का लुफ्त लूटने वाले ध्यान दें
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पटना,07 जनवरी। भारत एक कल्याणकारी राज्य है। यहां पर समानता का अधिकार है। अमीरों और गरीबों पर कानून और कर्तव्यों का समान व्यवहार। इसे पालन करने और करवाने का दायित्व सरकार और उसके नौकरषाहों पर है। मगर यह देखा गया कि बिहार के पटना जिले के जिलाधिकारी कुमार रवि का दोहरापन व्यवहार। उन्होंने राजधानी के सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया है। यह बढ़ती हुई ठंड एवं न्यूनतम तापमान को देखते हुए जिलाधिकारी कुमार रवि ने कदम उठाया और इसका आदेश निर्गत किया है। दूसरी ओर पटना-दीघा रेलवेखंड के किनारे रहने वाले लोगों को विस्थापित कर दिया मगर पुनर्वास की व्यवस्था नहीं की। हालांकि कई तरह की योजना है जिससे लोगों को पुर्नवासित किया जा सकता है। ऐसा न करने से विस्थापित इधर-उधर रहने को बाध्य हैं। मालूम हो कि पूरे बिहार में इन दिनों ठंड का प्रकोप लगातार जारी है. रविवार को पटना का न्यूनतम तापमान 6.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था, जबकि सोमवार को पटना का अधिकतम तापमान 17.0 डिग्री सेल्सियस के करीब रहा. मौसम विभाग के अनुसार मौसम में अभी और गिरावट आएगी.

डीएम साहब से मुन्नी देवी का गुहारः सुशासन सरकार के महादलितत मुसहर समुदाय से हैं मुन्नी देवी। उसके साथ हजारों की संख्या में लोग कई दशक से पटना-दीघा रेलखंड के किनारे रहते थे। अंग्रेजों के शासनकाल के समय की रेलखंड और पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में पटना घाट से दीघा घाट तक रेलखंड का जीर्णोंद्धार कर शहीद सवारी गाड़ी का परिचालन किया। राजनीति में बड़े भाई लालू प्रसाद यादव छोटे भाई नीतीष कुमार के रिष्ते जगजाहिर है। छोटे भाई नीतीष कुमार ने पटना-दीघा रेलखंड के बदले फोरलाइन सड़क निर्माण करवाने का निर्णय लिया है। इसके आलोक में पटना-दीघा रेलखंड के किनारे रहने वालों को विस्थापित कर दिया गया। सरकारी संकल्प के बावजूद भी विस्थापित करने के पहले पुनर्वासित नहीं किया गया। 

क्या कहती हैं महादलितत मुसहर समुदाय की मुन्नी देवी: कुबड़ रोग से पीड़ित हैं मुन्नी देवी। उम्र भी अधिक है। सामाजिक सुरक्षा पेंशन नहीं मिलता है। घर की माली हालत खराब होने के कारण मुन्नी देवी के पति भीख भी मांगते हैं। भीख मांगते पकड़ाने से कुछ माह तक सुधार गृह में रहे। इस बीच पटना-दीघा रेलखंड से हटाने की मुहिम में विस्थापित हो गयी। आज बोरिंग रोड के मध्य में सड़क पर मुन्नी देवी रहती हैं। कुछ कम्बल है। उसे ओढ़कर ठंड से बचती हैं। दोषाला ओढ़कर सोने वाले नौकरषाहों के इंसाफ नहीं करने के कारण महादलित खुले आकाश में रहने को बाध्य हैं। 

दैनिक भास्कर कार्यालय के सामने सड़क किनारे रहने वाले दुख मेंः दैनिक भास्कर कार्यालय के सामने एक महादलित परिवार के साथ रहता है। ठंड लगने से महादलित का बच्चा मर गया। किसी अखबार ने इस मौत को खबर नहीं बनाए। आखिर क्यों बनाएं! खोजबीन खबर गायब है। टेबुल पत्रकारिता के कारण ठंड से मर गया बच्चा खबर नहीं बन सका। यहां पर पंजाब केसरी,विवरण टाइम्स,दैनिक भास्कर,प्रभात खबर,राष्ट्रीय सहारा, आजकल आदि प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक्स इंडिया की भरमार है। आजतक महादलित को सुशासन सरकार से कुछ नहीं मिला। दीघा में उड़ान टोला है यहां पर महादलित मुसहर समुदाय के लोग लोग पन्नी तानकर रहते हैं। इसी तरह दीघा मुसहरी में लोग भी रहते हैं। ये लोग आवासीय भूमिहीन हैं। इनको पांच डिसमिल जमीन पाने का अधिकार है। मगर नौकरशाहों के द्वारा अधिकार नहीं दिया जा रहा है।  

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