प्रयागराज, 04 जनवरी, दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम कुम्भ मेला बसने से पहले निकलने वाली अखाड़ों की पेशवाई में आज श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा के आराध्य देव भुवन भास्कर भगवान सूर्यनारायण के संरक्षण में पारंपरिक ढंग से पेशवाई गाजे-बाजे के साथ छावनी पहुंची। कुम्भ मेले की भारतीय परंपरा केवल एक मेले के रूप में नहीं, बल्कि उत्सव के रूप में है। यह ऐसा मेला है जहां लोग श्रद्धा के सागर में उपासना की डुबकी लगाते हैं। कुंभ मेला परम्परा में आधुनिकता का अद्भुत संगम होने जा रहा है। कुंभ ऐसा आयोजन होता है, जहां देश ही नहीं विदेश से भी काफी संख्या में लोग आते हैं और भारतीय परंपरा को समझने का प्रयास करते हैं। देश का शायद ही कोई तीर्थ और पर्व इतना संपन्न और सबको समेटने वाला हो जितना कुंभ होता है। कुम्भ नगरी में लगने जा रहे विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक मेले के लिए शुक्रवार को हाथी, घोड़े, ऊंट और बैंड बाजे के साथ शैव सन्यासी सम्प्रदाय की श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा की पेशवाई बाघम्बरी गद्दी के निकट स्थित आनंद अखाड़ा के आश्रम से लकझक शुरू हुई थी। पेशवाई में चांदी के हौदों पर अखाड़ा के आचार्य, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर और अन्य साधु संत सवार थे।
शुक्रवार, 4 जनवरी 2019
शाही अंदाज में श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा की पेशवाई पहुंची छावनी
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